संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा, अफगानिस्तान में हमने अब तक 40 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं भेजा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में अब तक 40 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं भेजा है। इसके अलावा हमने मानवीय सहायता के रूप में जीवन रक्षक दवाएं और कोविड-19 के टीके भी भेजे हैं।
By Achyut KumarEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 09:11 AM (IST)
न्यूयार्क, एजेंसी। भारत (India) ने अब तक अफगानिस्तान (Afghanistan) को 40,000 मीट्रिक टन से अधिक गेहूं भेजा है, जिससे काबुल (Kabul) के निकटवर्ती पड़ोसी और लंबे समय से साझेदार के रूप में उसकी स्थिति सुनिश्चित हो गई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में संयुक्त राष्ट्र में देश की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) ने अफगान लोगों के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर प्रकाश डाला।
रुचिरा कंबोज ने कहा, 'जैसा कि हमने सुरक्षा परिषद में बार-बार कहा है, एक निकटवर्ती पड़ोसी के रूप में भारत हमेशा अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश करता है। हमारे अफगान लोगों से मजबूत ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं।'
भारत ने अफगानिस्तान में भेजी चिकित्सा खेप
- अफगान लोगों को मानवीय आवश्यकता के बारे में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के कई शिपमेंट भेजे हैं।
- उन्होंने बताया, 'अफगान लोगों की मानवीय आवश्यकता के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई तत्काल अपील के जवाब में भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के कई शिपमेंट भेजे हैं।'
- इसमें 10 बैचों में 32 टन चिकित्सा सहायता शामिल है, जिसमें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं, टीबी विरोधी दवाएं और COVID-19 टीकों की 50,0000 खुराक शामिल हैं।
- ये चिकित्सा खेप विश्व स्वास्थ्य संगठन और काबुल के इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हास्पिटल को सौंप दी गई है।
भारतीय दूतावास में तैनात की गई भारतीय तकनीकी टीम
काबुल में भारतीय दूतावास में एक भारतीय तकनीकी टीम भी तैनात की गई है ताकि मानवीय सहायता के प्रभावी वितरण और अफगानियों के साथ हमारे जुड़ाव को जारी रखने के लिए विभिन्न हितधारकों के प्रयासों की बारीकी से निगरानी और समन्वय किया जा सके।
अफगानिस्तान के विकास पर जताई चिंता
भारत ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि मानवीय सहायता तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर आधारित होनी चाहिए। भारत ने अफगानिस्तान के विकास पर भी चिंता व्यक्त की जो महिलाओं और लड़कियों की भलाई को सीधे प्रभावित करता है।तालिबान ने सितंबर में अंतरिम सरकार का किया गठन
तालिबान ने पिछले साल 15 अगस्त को काबुल में प्रवेश किया, जिससे अमेरिका समर्थित सरकार को पद छोड़ना पड़ा। बाद में सितंबर में, संगठन ने अफगानिस्तान की नई अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की। तालिबान के अधिग्रहण के बाद देश वर्तमान में गहराते आर्थिक, मानवीय और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, सरकारों से लेकर गैर-सरकारी संगठनों तक, अफगान लोगों को विभिन्न सहायता प्रदान करता रहा है।