चीन को क्वाड की अभी तक की सबसे बड़ी चेतावनी, पीएम मोदी बोले- हम किसी के खिलाफ नहीं, लेकिन...
PM Modi On China अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शहर विलमिंगटन में हुई बैठक में मोदी ने कहा कि हमारी बैठक ऐसे समय हो रही है जब विश्व तनावों और संघर्षों से घिरा हुआ है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का मिल कर साथ चलना पूरी मानवता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के संगठन क्वाड ने अपने दो दशकों के इतिहास में चीन को सबसे कड़ा संकेत दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शहर विलमिंगटन में बुधवार को देर शाम उक्त देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्थित दक्षिणी व पूर्वी चीन सागर में मौजूदा हालात को बहुत ही चिंताजनक बताया है और दूसरे देशों को डराने या उन पर दबाव बनाने की रणनीति पर अपनी चिंता जताई है।
क्वाड की छठी शीर्षस्तरीय बैठक
वैसे इसमें चीन का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया है लेकिन यह सर्वविदित है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के इस हिस्से पर कौन देश आक्रामकता दिखा रहा है। बाइडन के अलावा पीएम नरेन्द्र मोदी, जापान के पीएम फुमियो किशिदा और आस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अलबनिजी के बीच यह क्वाड की छठी शीर्षस्तरीय बैठक थी।
चीन को लेकर बाइडन रुख तीखा
बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का रूख हमेशा की तरह अपने हितों को प्राथमिकता देने वाला रहा। राष्ट्रपति बाइडन व पीएम अलबनिजी का भाषण चीन को लेकर ज्यादा तीखा रहा लेकिन पीएम मोदी ने क्वाड को पूरी प्राथमिकता दी लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि हम किसी के खिलाफ नहीं। हम सभी एक कानून सम्मत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मामलों के शांतिपूर्ण हल निकालने का समर्थन करते हैं।
हिंद प्रशांत साझा प्राथमिकता
लेकिन इसके साथ ही मोदी ने क्वाड को स्थायी तौर पर बने रहने में भारत की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट की और कहा कि खुला, मुक्त, समावेशी और संपन्न हिंद प्रशांत हमारी साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है। स्वास्थय सुरक्षा, प्रौद्योगिकता, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक व समावेशी शुरुआत की है। हमारा संदेश साफ है-क्वाड स्थायी है और यह सहयोग, साझेदारी और एक दूसरे की मदद करने के लिए है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने भी ऐसे ही उद्गार व्यक्त किये और कहा कि कई बदलाव होंगे और दुनिया भी बदलेगी लेकिन क्वाड स्थाई तौर पर रहेगा। बाद में चारों देशों की तरफ से जारी संयुक्त घोषणा पत्र में भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति बनाये रखने के लिए बल या दबाव के जरिए स्थिरता को भंग करने की कोशिशों की कड़े शब्दों में आलोचना की है।
यूक्रेन विवाद पर घोषणा पत्र
उन्होंने कहा कि हम ऐसा क्षेत्र स्थापित करना चाहते हैं जहां ना किसी देश का दबादबा हो और ना ही कोई देश किसी और अन्य के दबदबे में रहे। पूरे घोषणा-पत्र की भाषा पिछले वर्ष क्वाड की जापान बैठक के बाद जारी घोषणा-पत्र से ज्यादा आक्रामक है। साथ ही यूक्रेन विवाद पर भी इस घोषणा पत्र में उल्लेख है और इसके संदर्भ में क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का आदर करने की बात कही गई है।
पश्चिम एशिया के हालात पर पहली बार चर्चा
क्वाड शीर्ष नेताओं के बीच पहली बार पश्चिम एशिया के हालात पर भी चर्चा हुई है। यह बताता है कि क्वाड संगठन हिंद प्रशांत क्षेत्र के अलावा दूसरे महत्वपूर्ण वैश्विक विवादों पर भी विमर्श कर रहा है।हिंद प्रशाांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता पर बात करने के अलावा इस क्षेत्र के देशों के बीच समाजिक, आर्थिक व ढांचागत कनेक्टिविटी पर सहयोग को लेकर क्वाड अब ज्यादा स्पष्ट नजर आता है।
गर्भाशय कैंसर पर ध्यान केंद्रित
मसलन, इस समूचे क्षेत्र के देशों के बीच कैंसर की जांच व रोकथाम के लिए क्वाड कैंसर मूनशॉट कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसमें भारत की तरफ से 75 लाख डॉलर का योगदान दिया गया है। शुरुआत में यह कार्यक्रम गर्भाशय कैंसर पर ध्यान केंद्रित करेगा। आने वाले वर्षों में इस अभियान से लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी। इसके साथ ही शनिवार को क्वाड ने इस क्षेत्र के देशों को उनकी समुद्री सीमा की रक्षा के लिए बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए एक नये अभियान मैत्री की शुरुआत की घोषणा की है।
अगले साल भारत में होगी क्वाड की बैठक
इन देशों के समुद्री सीमा सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने का काम अगले साल भारत में किया जाएगा। इसी तरह इस क्षेत्र के देशों के बंदरगाहों के बीच बेहतर सामंजस्य व सहयोग करने के लिए एक नई साझेदारी की घोषणा की गई है। चारों शीर्ष नेताओं की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संशोधन करके स्थाई व अस्थाई सदस्य देशों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है। अगले वर्ष क्वाड नेताओं की शीर्ष बैठक भारत में आयोजित की जाएगी।
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