छोटे बच्चों को बोल-बोलकर पढ़ाएं, मजबूत होगा रिश्ता; अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जन्म के शुरुआती वर्ष में माता-पिता अगर छोटे बच्चों के साथ जोर-जोर से बोलकर पढ़ते हैं तो इससे संबंधों को बढ़ावा मिलता है जिसका आजीवन प्रभाव रहता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने सिफारिश की है कि बाल रोग विशेषज्ञों को जन्म से शुरू करके साझा पढ़ने को प्रोत्साहित करना चाहिए। पढ़ें पूरी जानकारी।
न्यूयॉर्क, आईएएनएस। जन्म के शुरुआती वर्ष बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए बेहद अहम होते हैं। इस दौरान दोनों के बीच बेहतर जुड़ाव भी बनता है, क्योंकि यही समय होता है, जब बच्चों के दिमाग का विकास होता है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कहा है कि माता-पिता इस महत्वपूर्ण समय में अगर छोटे बच्चों के साथ जोर-जोर से बोलकर पढ़ते हैं तो इससे संबंधों को बढ़ावा मिलता है, जिसका आजीवन प्रभाव रहता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने सिफारिश की है कि बाल रोग विशेषज्ञों को जन्म से शुरू करके साझा पढ़ने को प्रोत्साहित करना चाहिए और कम से कम किंडरगार्टन तक जारी रखना चाहिए।
बच्चों के दिमाग के विकास में होता है मददगार
रिपोर्ट में रिश्तों को मजबूत बनाने, मस्तिष्क को उत्तेजित करने और शुरुआती जुड़ाव बनाने के तरीके के रूप में इसे महत्वपूर्ण बताया गया है। प्रमुख लेखक पेरी क्लास ने कहा कि छोटे बच्चों के साथ मिलकर पढ़ना दैनिक जीवन के ताने-बाने में आनंददायक भाषा और समृद्ध संवादात्मक क्षणों को बुनता है। यह उन बंधनों को मजबूत करेगा, जो आपको साथ जोड़ते हैं और बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रिपोर्ट के सह-लेखक और काउंसिल ऑन अर्ली चाइल्डहुड के अध्यक्ष दीपेश नवसरिया ने कहा कि रंग-बिरंगे चित्रों और समृद्ध भाषा से भरी उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तक के पन्ने पलटना सबसे अच्छा है। टचस्क्रीन और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण लोकप्रिय हो सकते हैं, लेकिन वे आम तौर पर बच्चों को एकान्त रहने की ओर अग्रसर करते हैं और संबंध-निर्माण के समान लाभ प्रदान नहीं करते हैं।