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रूस ने तोड़ा काला सागर अनाज समझौता, UN ने दी चेतावनी- गरीब देशों में कई लोगों की हो सकती है मौत

Black Sea Grain Deal रूस काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है।संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने एक बयान में कहा कि इससे अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी पैदा कर सकती है। UN ने तर्क दिया कि इससे विश्व स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में 23% से अधिक की कमी करके गरीब देशों को लाभ हुआ है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 22 Jul 2023 09:15 AM (IST)
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रूस ने तोड़ा काला सागर अनाज समझौता

संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। रूस काला सागर अनाज समझौते से पीछे हट गया है। रूस के इस फैसले का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल सकता है।

बता दें, एशिया में, ज्यादातर गरीब देश अपने जरूरत का अनाज यूक्रेन से आयात करते हैं। इसी को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि इससे अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी पैदा कर सकती है। इससे बदतर स्थिति का खतरा पैदा हो सकता है।

क्या है पीछे हटने का कारण?

रूस ने सोमवार को बताया था कि काला सागर अनाज समझौते से पीछे हटने के दो कारण है। पहला- अपने स्वयं के खाद्य और उर्वरक निर्यात में सुधार की मांगें पूरी नहीं की गईं और दूसरा- यूक्रेन का पर्याप्त अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंच पाया है।

'रूस के इस फैसले से कई लोग मर सकते है'

इस सप्ताह शिकागो में अमेरिकी गेहूं वायदा 6% से अधिक बढ़ गया है। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद बुधवार को यह सबसे बड़ा दैनिक लाभ हुआ।

मार्टिन ग्रिफिथ्स ने 15-सदस्यीय निकाय को बताया, 'विकासशील देशों में ऊंची कीमतों का सबसे ज्यादा असर देखन को मिला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 69 देशों में लगभग 362 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। रूस के इन फैसलों के परिणामस्वरूप कुछ लोग भूखे रह जाएंगे, कुछ भूख से मर जाएंगे और कई लोग मर सकते हैं।'

रूस ने कब किया था सौदा?

जानकारी के लिए बता दें, रूस के फरवरी 2022 के आक्रमण से बिगड़े वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और तुर्की द्वारा एक साल पहले यह सौदा किया गया था। यूक्रेन और रूस अग्रणी अनाज निर्यातक हैं। संयुक्त राष्ट्र ने तर्क दिया कि काला सागर समझौते से विश्व स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में 23% से अधिक की कमी करके गरीब देशों को लाभ हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अफगानिस्तान, जिबूती इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और यमन में कार्यों में सहायता के लिए लगभग 725,000 मीट्रिक टन यूक्रेन अनाज भी भेजा। लेकिन, सबसे गरीब देशों को केवल 3% अनाज मिला है।

रूस कर रहा हमला

उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनिन ने शुक्रवार को मॉस्को में कहा कि समझौते से बाहर निकलने के बाद रूस सबसे अधिक जरूरतमंद देशों को भोजन के निर्यात पर बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

रूस ने शुक्रवार को लगातार चौथे दिन यूक्रेनी खाद्य निर्यात सुविधाओं पर हमला किया और काला सागर में जहाजों को जब्त करने का अभ्यास किया। मॉस्को ने बंदरगाह पर हुए हमलों को सोमवार को क्रीमिया पर रूस के पुल पर यूक्रेनी हमले का बदला बताया है।

विकासशील देशों पर पड़ेगा प्रभाव

संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों के प्रमुख रोजमेरी डिकार्लो ने सुरक्षा परिषद को बताया, यूक्रेनी बंदरगाहों पर हमलों की नई लहर से वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर दूरगामी प्रभाव पड़ने का जोखिम है, विशेष रूप से विकासशील देशों में। रूस ने कहा है कि वह अब यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों की ओर जाने वाले किसी भी जहाज को संभवतः सैन्य माल ले जाने वाले के रूप में देखेगा।

कीव ने रूस या रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी क्षेत्र की ओर जाने वाले जहाजों के खिलाफ इसी तरह के उपायों की घोषणा करके जवाब दिया। इस बीच, तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन को अगले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की उम्मीद है। कयास लगाए जा रहे है कि दोनों के बीच काला सागर अनाज समझौते की बहाली हो सकती है।