G20 शिखर सम्मेलन के दौरान होगी रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा, अमेरिका ने कहा- "हम किसी भी देश का करेंगे स्वागत
वेदांत पटेल ने कहा हम किसी भी देश का स्वागत करेंगे जो हमारे यूक्रेनी भागीदारों का समर्थन करने के लिए कदम उठाना चाहता है। बता दें रूस-यूक्रेन संघर्ष 500 दिनों से अधिक समय तक खिंच चुका है। इसकी शुरुआत 24 फरवरी 2022 को हुई जब मॉस्को ने कीव के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था। इस युद्ध ने नागरिकों सहित हजारों लोगों की जान ले ली है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Fri, 18 Aug 2023 05:00 AM (IST)
वाशिंगटन, एएनआई। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वाशिंगटन किसी भी देश का स्वागत करेगा जो चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने की दिशा में कदम उठाने का इरादा रखता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि अमेरिका G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और अन्य सदस्य देशों के साथ सुरक्षा सहयोग और जलवायु और ऊर्जा चुनौतियों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक है ।
भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन में चर्चा किए जाने वाले मुद्दों की श्रृंखला के बारे में पूछे जाने पर, वेदांत पटेल ने कहा, "जिन मुद्दों को आपने रेखांकित किया है, वे निश्चित रूप से महत्वपूर्ण हैं। द्विपक्षीय मुद्दे जिन पर हम किसी भी संदर्भ में भारत के साथ चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।"
सितंबर में होगा जी-20 शिखर सम्मेलन
भारत की अध्यक्षता में जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन इस सितंबर में नई दिल्ली में होने वाला है। यह पूछे जाने पर कि क्या जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए कोई समाधान या समझौता होगा? पटेल ने कहा कि वाशिंगटन किसी भी देश का स्वागत करेगा जो मामले को सुलझाने की दिशा में कदम उठाएगा।“हम किसी भी देश का स्वागत करेंगे, जो हमारे यूक्रेनी भागीदारों का समर्थन करने के लिए कदम उठाना चाहता है। और, हम रूसी संघ को यह संदेश देने में भूमिका निभाने वाले किसी भी देश का स्वागत करेंगे, यह बताना जारी रखेंगे कि यह कितना महत्वपूर्ण और गंभीर है कि वे यूक्रेन को पूरी तरह से छोड़ दें और यूक्रेनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करने का प्रयास करना बंद कर दें।
दुनिया झेल रही मुद्रास्फीति की समस्या
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष 500 दिनों से अधिक समय तक खिंच चुका है। इसकी शुरुआत 24 फरवरी, 2022 को हुई, जब मॉस्को ने कीव के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया।युद्ध ने नागरिकों सहित हजारों लोगों की जान ले ली है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया है जिससे दुनिया भर में मुद्रास्फीति की समस्याएं पैदा हो गई हैं।