खाद्यान्न और ईंधन की बढ़ी कीमतें विश्व की सबसे बड़ी चुनौती, फिर भी भारत छोटे-गरीब देशों को दे रहा अनाज : जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इंडिया एट 75 कार्यक्रम में कहा कि यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में खाद्यान्न और ऊर्जा की कीमतों को बढ़ाया है। मौजूदा वक्त में यह सबसे बड़ी चुनौती है। जाने विदेश मंत्री ने क्या बातें कही...
By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Sat, 24 Sep 2022 10:28 PM (IST)
न्यूयार्क, एजेंसी। यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में खाद्यान्न और ऊर्जा की कीमतों को बढ़ाया है। यह इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इंडिया एट 75 में कही। यह कार्यक्रम भारत और संयुक्त राष्ट्र के संबंधों पर आधारित था। जयशंकर ने कहा, भारत 2047 तक विकसित देश बन जाएगा। आजादी के बाद 100 साल में विकसित देश बनने वाला भारत पहला बड़ा लोकतांत्रिक देश होगा।
ईंधन की कीमतों में बड़ा उछाल
उन्होंने कहा, यूक्रेन युद्ध से दुनिया में खाद्यान्न और ईंधन की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। यह दुनिया के समक्ष बड़ी चुनौती है। लेकिन भारत ने ऐसे समय में भी अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, यमन और कई अन्य देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है। विदेश मंत्री ने कहा, हमारा सपना है कि हम अपने दूरस्थ गांवों को भी डिजिटल सुविधाओं से जोड़ें। हम चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्री उतारें। भारत यह सब अपने दम पर करना चाहता है।
भारत 2047 तक विकसित देश बनेगा
डिजिटल तकनीक के चलते हम 80 करोड़ लोगों के लिए सफलतापूर्वक खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चला सके। 300 अरब डालर से ज्यादा का लाभ लोगों को दे सके। 40 करोड़ लोगों को अभी भी नियमित रूप से खाद्यान्न का वितरण हो रहा है। जयशंकर ने कहा, विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने अपनी सामर्थ्य दिखाई है। इसी के बल पर भारत 2047 तक विकसित देश बनेगा।भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत
जयशंकर ने कहा, 18वीं शताब्दी में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की थी। लेकिन गुलामी के दौर में हम दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब देशों में शामिल हो गए। लेकिन एक बार फिर हमने रफ्तार पकड़ी है।सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं हम
जयशंकर ने कहा- हम विकासवादी सोच के साथ हैं। हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं इसीलिए हम संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य बने। कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र आमसभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी, संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मुहम्मद, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रशासक अचिम स्टेनर मौजूद थे।
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