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वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक का असर बढ़ाने का तरीका खोजा, सुपरबग्स पर काबू पाने में मिलेेगी बड़ी मदद

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसकी मदद से एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर ज्यादा असरदार हो जाएंगी। यह खोज ऐसे वक्‍त में सामने आई है जब एंटीबायोटिक प्रतिरोध वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़े 10 बड़े खतरों में शुमार है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 27 Oct 2021 05:57 PM (IST)
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसकी मदद से एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर ज्यादा असरदार हो जाएंगी।
कैनबरा, एएनआइ। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर ज्यादा असरदार हो जाएंगी। एंटीबायोटिक्स का प्रतिरोध करने वाले बैक्टीरिया को सुपरबग्स भी कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, सुपरबग्स का एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ता जा रहा है और यह वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़े 10 बड़े खतरों में शुमार है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए तरीके के इजाद होने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में काफी मदद मिलेगी।

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित नया शोध वह रास्ता उपलब्ध कराएगा, जिसके जरिये एंटीबायोटिक्स का असर बढ़ जाएगा और डाक्टरों को मरीज की एंटीबायोटिक की खुराक बढ़ाने अथवा नई दवा की खोज पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ेगा। बैक्टीरियल इंफेक्शन (जीवाणु संक्रमण) के दौरान शरीर कीमोअट्रेक्टेंट नामक मोलेक्युल्स के जरिये संक्रमण वाले स्थान पर न्यूट्रोफिल पैदा करता है।

न्यूट्रोफिल प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं, जो नुकसानदेह बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम हैं। ऐसा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जरूरी होता है। शोधकर्ताओं ने एक कीमोअट्रेक्टेंट को एक एंटीबायोटिक में शामिल किया, जिससे उसकी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को पैदा करने और नुकसानदेह बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता में वृद्धि हुई।

मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट से जुड़ी मुख्य शोधकर्ता डा. जेनिफर पायने ने कहा, 'जब हम यह पता लगाते हैं कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया का मुकाबला कैसे करती है, तो दो अहम पहलुओं पर गौर करते हैं। पहला, बैक्टीरिया को फंसाकर उसे मार डालने की हमारी क्षमता तथा दूसरा कीमोअट्रेक्टेंट व सफेद रक्त कोशिकाओं की प्रतिक्रियाएं जो संक्रमण को खत्म करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करती हैं।'

शोधकर्ताओं ने फार्मिल पेप्टाइड के रूप में चर्चित एक कीमोअट्रेक्टेंट को वैनकोमाइसिन से जोड़ा। इसके बाद गोल्डन स्टैफ संक्रमण नामक एक खतरनाक एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर अध्ययन किया गया। वैनकोमाइसिन सामान्य प्रयोग में आने वाली एक एंटीबायोटिक दवा है, जो बैक्टीरिया की सतह को बांधती है।

डा. पायने ने कहा, 'हम दोहरा प्रभाव छोड़ने वाले कीमोअट्रेक्टेंट हाइब्रीड्स पर काम कर रहे थे, जो न्यूट्रोफिल्स की मात्रा को बेहतर करते हैं और बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता को बढ़ाते हैं।' मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट स्थित एक ईएमबीएल आस्ट्रेलिया ग्रुप लीडर व एसोसिएट प्रोफेसर मैक्स क्राइल ने कहा, 'रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाली एंटीबायोटिक के चूहों पर प्रयोग के दौरान हमें पता चला कि इसका पांचवां हिस्सा भी दूसरी एंटीबायोटिक्स से ज्यादा प्रभावी है।'