वैज्ञानिकों का दावा- Solar system बनने के साथ ही बने खनिज; 4.57 अरब साल पुराना है सौर मंडल
वैज्ञानिक शोध पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी की में आइसोटोपिक विश्लेषण के उपयोग से वैज्ञानिकों ने पाया कि क्षुद्रग्रह के कार्बोनेट खनिज पानी से अभिक्रियाओं के चलते क्रिस्टलीकृत हो गए। वैज्ञानिकों के अनुसार ये कार्बोनेट सौर मंडल के अस्तित्व में आने के पहले 18 लाख सालों के भीतर ही बन गए थे।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 19 Jan 2023 08:02 PM (IST)
वाशिंगटन (एएनआई): हमारे सौर मंडल की उम्र लगभग 4.57 अरब साल है। प्राचीन उल्कापिंडों के पिछले विश्लेषणों से पता चला है कि पानी के साथ रासायनिक प्रतिक्रियाओं के चलते 4.5 अरब साल पहले ही खनिजों का निर्माण हो गया था। रायुगु क्षुद्रग्रह (Ryugu Asteroid) नमूनों के नए निष्कर्षों से पता चला है कि कई लाख साल पहले जल-चट्टान अभिक्रियाओं से कार्बोनेट बन रहे थे बल्कि सौर मंडल की शुरुआत से ही इनका बनना शुरू हो गया था।
वैज्ञानिक शोध पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में हालिया प्रकाशित शोध में आइसोटोपिक विश्लेषण के उपयोग से वैज्ञानिकों ने पाया कि क्षुद्रग्रह के कार्बोनेट खनिज पानी से अभिक्रियाओं के चलते क्रिस्टलीकृत हो गए। वैज्ञानिकों के अनुसार ये कार्बोनेट सौर मंडल के अस्तित्व में आने के पहले 18 लाख सालों के भीतर ही बन गए थे।
दुनिया और सौर मंडल बनने पर शोध में मिलेगी सहायता
वैज्ञानिकों का कहना है कि रायुगु के नमूनों से हमें पता चलता है कि क्षुद्र ग्रह और ऐसी अन्य चीजें बाहरी सौर मंडल में अपेक्षाकृत तेजी से बनी हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि रायुगु कार्बोनेट पहले के अनुमानों की तुलना में कई लाख साल पहले बने हैं। इस शोध में शामिल वैज्ञानिक केविन मैककिगन ने कहा कि ये परिणाम आश्चर्यजनक हैं। क्षुद्रग्रह संघनन के ज्यादातर मॉडल यह अनुमान लगाते हैं कि इनके इकट्ठे होने में इसके मुकाबले कहीं अधिक समय लगा होगा। अपने बनने से लेकर अब तक टकरावों और पुनः संरचित होने के चलेत रायुगु का वर्तमान में मात्र 1 किलोमीटर व्यास है और इसकी भी बेहद कम संभावना है कि इसका कभी भी बड़ा आकार रहा होगा।वैज्ञानिकों ने क्षुद्रग्रह को लेकर दी जानकारी
वैज्ञानिक यह भी अनुमान लगाते रहे हैं कि सौर मंडल की शुरूआत में ही बनने वाला कोई भी बड़ा क्षुद्रग्रह रेडियोधर्मी न्यूक्लाइड एल्यूमीनियम-26 के क्षय के चलते बेहद उच्च तापमान तक गर्म हुआ होगा। इससे धातु और सिलिकेट के अलग-अलग होने जैसे रासायनिक पृथक्करण के साथ-साथ क्षुद्रग्रह के पूरे आंतरिक भाग में चट्टानें पिघल गई होंगी। हालांकि रायुगु में इसका कोई साक्ष्य नहीं दिखता है। शोध से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इस शोध से पृथ्वी और सौर मंडल के अन्य ग्रहों के बनने की प्रक्रिया के बारे में अंतर्दृष्टि मिलेगी।
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