Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि तरल चट्टान है पृथ्वी की मेंटल परत, भूकंप से मिले पृथ्वी के कई सुराग

वैज्ञानिकों को यह प्रमाण मिला कि धरती के मेंटल की चिपचिपाहट कैसी है। इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि धरती में लगभग 80 किलोमीटर की ऐसी परत है जो मेंटल की तलहटी के मुकाबले कम चिपचिपी मोटी परत है।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 25 Feb 2023 11:48 PM (IST)
Hero Image
पृथ्वी की मेंटल का ऊपर हिस्सा दरअसल शहद या टार की तरह चिपचिपा है।

वाशिंगटन, पीटीआई। पृथ्वी पर आने वाले बेहद गहरे भूंकपों से वैज्ञानिक पृथ्वी के ऊपरी आवरण क्रस्ट और सबसे भीतरी हिस्से कोर के बीच की परत मेंटल के रहस्य जान पाएंगे। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय हुए अध्ययन से यह पता चला है कि पृथ्वी की मेंटल का ऊपरी हिस्सा आश्चर्यजनक रूप से तरल चट्टान के रूप में हो सकता है।

फिजी में गहरे भूकंप से मिले पृथ्वी के सुराग

वैज्ञानिक जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार फिजी के पास प्रशांत महासागर में आए गहरे भूकंप के दौरान जीपीएस सेंसर द्वारा दर्ज की गई हलचल से यह पुष्टि हुई है कि पृथ्वी की मेंटल का ऊपर हिस्सा दरअसल शहद या टार की तरह चिपचिपा है और धीमी गति से प्रवाहित होता है।

इस अध्ययन से जुड़े जियोफिजिस्ट और अध्ययन के मुख्य ऑथर सनयॉन्ग पार्क का कहना है कि पृथ्वी के गर्भ में क्या है, ये हमें गहरे भूकंपों से पता चल सकता है। उनका कहना है कि ज्यादातर भूंकप धरती के ऊपरी हिस्से में आते हैं और गहरे भूंकपों की अकसर अनदेखी कर दी जाती है क्योंकि उनसे जानमाल का नुकसान नहीं होता है।

हालांकि ऐसे भूकंपों से हमें धरती की भीतरी संरचना समझने में मदद मिल सकती है। दीगर है कि अत्यधिक गर्मी और दबाव के चलते धऱती की मेंटल तक खुदाई करना संभव नहीं है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने 2018 में फिजी के तट प्रशांत महासागर में आए भूकंप पर ध्यान दिया। इस भूकंप की तीव्रता हालांकि 8.2 थी लेकिन इसके 564 किलोमीटर या इससे भी गहरे होने के कारण इससे कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।

भूकंप के महीनों बाद तक हिलती रही पृथ्वी

हालांकि वैज्ञानिकों ने जब पास के विभिन्न द्वीपों पर जीपीएस सेंसर के डेटा का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया तो पाया कि भूकंप खत्म होने के बाद भी पृथ्वी हिलती रही। डेटा से पता चला कि भूकंप के महीनों बाद भी पृथ्वी हिलती रही, विक्षोभ के मद्देनजर बस रही थी।

यह हलचल ऐसी थी मानो किसी ने शहद के बर्तन को हिला दिया हो और शहद काफी देर तक हिलता रहे। इस हलचल से वैज्ञानिकों को यह प्रमाण मिला कि धरती के मेंटल की चिपचिपाहट कैसी है। इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि धरती में लगभग 80 किलोमीटर की ऐसी परत है जो मेंटल की तलहटी के मुकाबले कम चिपचिपी मोटी परत है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह परत पूरे ग्लोब में फैली हुई है। इसकी गहराई पूरी धरती पर लगभग एक समान है। अध्ययन के मुख्य ऑथर कहते हैं कि वैज्ञानिक इस अध्ययन से काफी आशान्वित है कि गहरे भूंकंपों से जुड़ी इस तकनीक से आगे धरती के कई रहस्य उजागर किए जा सकते हैं।