जलवायु परिवर्तन से बदल रहे अंगों के आकार, गर्म खून वाले जानवरों में देखे जा रहे हैं ऐसे बदलाव
नए अनुसंधान में सामने आया है कि बढ़ते तापमान की वजह से कुछ वार्म ब्लडेड एनिमल्स में अंगों के आकार भी बदलने लगे हैं। शरीर के तापमान को रेगुलेट करने के लिए चोंच पैर और कान के आकार बड़े होने लगे हैं।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Thu, 16 Sep 2021 09:57 AM (IST)
वाशिंगटन, एएनआइ। जलवायु परिवर्तन के कारण धरती के बढ़ते तापमान के दुष्परिणाम चहुंओर दिख रहे हैं। मौसम, फसल और स्वास्थ्य को लेकर कई सारे अध्ययन हो चुके हैं। अब एक नए अनुसंधान में सामने आया है कि बढ़ते तापमान की वजह से कुछ गर्म खून वाले प्राणियों (वार्म ब्लडेड एनिमल्स) में अंगों के आकार भी बदलने लगे हैं। शरीर के तापमान को रेगुलेट करने के लिए चोंच, पैर और कान के आकार बड़े होने लगे हैं। यह अध्ययन ‘ट्रेंड्स इन इकोलाजी एंड इवोल्यूशन’ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
जलवायु परिवर्तन सिर्फ इंसानों की ही समस्या नहीं है, बल्कि अन्य प्राणियों को भी उसके अनुकूल ढालना होता है। आस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी की पक्षी विज्ञानी सारा राइडिंग का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर मुख्यधारा की मीडिया में बहुत चर्चाएं होती हैं। सवाल उठाया जाता है कि इंसान इससे निपट पाएगा या नहीं या किस तकनीकी से इस समस्या का समाधान हो पाएगा। ऐसे में इस बात को अहमियत देनी होगी कि पशु-पक्षियों को इन बदलावों के सापेक्ष खुद को अनुकूलित करना पड़ रहा है। उनमें बदलाव हो रहे हैं, लेकिन ये बदलाव विकासवाद के किसी भी कालखंड की तुलना में बहुत तेजी से हो रहे हैं। मतलब कम समय में ज्यादा या बड़े बदलाव दिखने को मिल रहे हैं।
अनुकूलन का बढ़ रहा जबरदस्त दबाव
राइडिंग ने कहा है कि इंसानी गतिविधियों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से अन्य प्राणियों पर भी जबरदस्त दबाव बढ़ा है। इनमें से कुछ प्रजातियों में अनुकूलन हो रहा है और कुछ ऐसे भी हैं, जो बचेंगे ही नहीं। उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन एक जटिल और बहुआयामी घटना है, जो निरंतर जारी है। ऐसे में आकार में हो रहे बदलाव का कोई एक सटीक कारण बताना कठिन है। लेकिन ये बदलाव व्यापक भौगोलिक क्षेत्रों में और विविध प्रकार की प्रजातियों में हो रहे हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन के अलावा कुछ भी समान नहीं है।
पक्षियों में दिख रहे बड़े बदलाव
अंगों के आकार में सबसे ज्यादा बदलाव पक्षियों में देखे जा रहे हैं। आस्ट्रेलियाई तोतों की कई प्रजातियों में 1871 से लेकर अब तक उनकी चोंच के आकार में चार से 10 फीसद तक की वृद्धि पाई गई है। खास बात यह कि इसका संबंध हर वर्ष की गर्मियों में तापमान से रहा है। शोधकर्ताओं ने चूहों की पूंछ तथा छछूंदरों के पैर के आकार में वृद्धि की रिपोर्ट की है। हालांकि कान जैसे कुछ अहम अंगों के आकार में वृद्धि को भविष्य में बड़े ही स्पष्ट तरीके से दिखाया जा सकेगा। अगले चरण में राइडिंग पिछले 100 वर्षो के म्यूजियम के नमूनों की 3-डी स्कैनिंग करके आस्ट्रेलियाई पक्षियों के अंगों के आकार में बदलावों की और पड़ताल करेंगी।
पारिस्थितिकी तंत्र भी होगा प्रभावितअंगों के आकार में बदलाव सिर्फ यह मतलब नहीं कि वे (प्राणी) जलवायु परिवर्तन से निपट रहे हैं और यह सही हो रहा है। इसका यह मतलब यह भी है कि वे अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए खुद को अनुकूलित कर रहे हैं। लेकिन इन बदलावों से पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले असर को लेकर हम आश्वस्त नहीं हैं। या फिर यह भी जरूरी नहीं कि सभी प्रजातियां अपना अस्तित्व बचाने के लिए अनुकूलित बदलाव में सक्षम हो पाएंगी।