पृथ्वी पर कैसे आईं सोना, चांदी, प्लैटिनम और यूरेनियम जैसी बेशकीमती धातुएं, वैज्ञानिकों ने बताई यह वजह
पृथ्वी पर सोना चांदी प्लैटिनम और यूरेनियम जैसी बेशकीमती धातुएं कैसे आईं वैज्ञानिकों ने इसकी वजह बताई है। वैज्ञानिकों की नई अवधारणा में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Tue, 18 Jun 2019 10:00 AM (IST)
टोरंटो, प्रेट्र। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कीमती धातुओं (सोना, चांदी, प्लैटिनम, यूरेनियम आदि) का खजाना दफन है। अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर ये धातुएं पृथ्वी में आईं कैसे। क्या यह भूगर्भ की रासायनिक प्रक्रिया के कारण बने हैं या किसी अन्य कारण से इनका निर्माण हुआ। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इन कीमती धातुओं के पृथ्वी पर मिलने के बारे में एक नई अवधारणा पेश की है।
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में दावा किया है कि सुपरनोवा के कारण ही पृथ्वी को सोने और प्लैटिनम जैसी कीमती धातुओं का उपहार मिला है। सुपरनोवा किसी तारे में हुए भयंकर विस्फोट को कहते हैं। इससे निकलने वाला प्रकाश और विकिरण इतना जोरदार होता है कि कुछ समय के लिए पूरी आकाशगंगा धुंधली हो जाती है।कनाडा की गुएफ यूनिवर्सिटी (University of Guelph in Canada) और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Columbia University) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन पृथ्वी पर पाए जाने वाले भारी और कीमती तत्वों के बारे में हमारी समझ को पलट देता है। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, ब्रह्मांड में लगभग 80 फीसद भारी और कीमती तत्व कोलैप्सार्स प्रक्रिया के दौरान दुनिया में आईं। कोलैप्सार्स सितारों के टूटने की एक दुर्लभ प्रक्रिया है और यह सुपरनोवा के दौरान ही घटित होती है। इस दौरान भारी मात्र में धातुएं टूटे तारे से निकलती हैं।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सुपर कंप्यूटरों के जरिये सिमुलेशन कर कोलैप्सार्स की गतिशीलता का पता लगाया। गुएफ यूनिवर्सिटी के डेनियल साइगेल ने कहा कि अध्ययन में यह बात सामने आई कि सितारों के टूटने पर भारी तत्वों का बड़े पैमाने पर बिखराव शुरू हो जाता है और गुरुत्वाकर्षण के कारण ये तत्व ब्रह्मांड में इधर-उधर अनेक ग्रहों में फैल जाते हैं।साइगेल ने कहा कि ये आश्चर्यजनक लगता है लेकिन इन तत्वों की मात्रा और वितरण सौर मंडल में देखे गए तत्वों के समान ही है। बहुत समय पहले अंतरिक्ष में हुए विस्फोट के कारण ही परमाणु रिएक्टरों में उपयोग किए जाने वाले यूरेनियम और प्लूटोनियम से लेकर अन्य रासायनिक तत्व पृथ्वी और अन्य जगहों पर पहुंचे।
उन्होंने कहा कि एक अनुमान ऐसा भी है कि ये कीमती तत्व पृथ्वी के साथ-साथ अन्य ग्रहों पर भी हो सकते हैं, क्योंकि विस्फोट के बाद जब धातुओं का बिखराव होना शुरू हुआ होगा तो गुरुत्वाकर्षण के कारण ये तत्व निश्चित तौर पर अन्य ग्रहों पर भी गिरे होंगे। इस शोध से हमारी आकाशगंगा के निर्माण के बारे में सुराग मिल सकता है। शोधकर्ताओं की टीम को उम्मीद है जल्द ही इस अध्ययन को सैद्धांतिक तौर पर मान्यता मिलेगी।वैज्ञानिकों ने खोजे थे 1800 सुपरनोवा
हमारा ब्रह्मांड इतना विशाल और गतिशील है कि उसमें निरंतर कुछ न कुछ घटित होता रहता है। वैज्ञानिक दिन-प्रतिदिन इसके बारे में नई जानकारियां जुटाते रहते हैं। बीते दिनों वैज्ञानिकों ने 1800 नए सुपरनोवा खोजे थे। इनकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि ब्रह्मांड किस गति से विस्तार कर रहा है। जापान की कवली इंस्टीट्यूट फॉर द फिजिक्स एंड मैथमैटिक्स ऑफ द यूनिवर्स (कवली आइपीएमयू) और टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली डिजिटल कैमरों और टेलीस्कोप के डाटा से इनकी खोज की थी। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
हमारा ब्रह्मांड इतना विशाल और गतिशील है कि उसमें निरंतर कुछ न कुछ घटित होता रहता है। वैज्ञानिक दिन-प्रतिदिन इसके बारे में नई जानकारियां जुटाते रहते हैं। बीते दिनों वैज्ञानिकों ने 1800 नए सुपरनोवा खोजे थे। इनकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि ब्रह्मांड किस गति से विस्तार कर रहा है। जापान की कवली इंस्टीट्यूट फॉर द फिजिक्स एंड मैथमैटिक्स ऑफ द यूनिवर्स (कवली आइपीएमयू) और टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली डिजिटल कैमरों और टेलीस्कोप के डाटा से इनकी खोज की थी। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप