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Taiwan-US Relation: ताइवान की राष्ट्रपति ने अमेरिकी स्पीकर मैकार्थी से की मुलाकात, बौखलाया चीन; दी ये चेतावनी

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने बुधवार को यूएस हाउस स्पीकर केविन मैक्कार्थ के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने इस मुलाकात के लिए अमेरिका का आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 06 Apr 2023 01:57 PM (IST)
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ताइवान की राष्ट्रपति ने अमेरिकी स्पीकर मैकार्थी से की मुलाकात
वाशिंगटन, एजेंसी। America-Taiwan Relations: ताइवान (Taiwan) की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) ने बुधवार को यूएस हाउस स्पीकर केविन मैक्कार्थी (Kevin McCarthy) के साथ मुलाकात की। इस दौरान त्साई इंग-वेन ने कहा कि उनका द्वीप अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग नहीं था। उन्होंने कहा कि 'हमारा लोकतंत्र खतरे में है’। वहीं, इस मुलाकात के लिए उन्होंने अमेरिका का आभार जताया।

त्साई को रिब्लिकन पार्टी ने नेताओं ने दी बधाई

कैलिफोर्निया में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन को रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने बधाई दी। अमेरिका में बाकी के राजनेताओं ने भी त्साई इंग-वेन का स्वागत किया। उन्होंने सिमी वैली में रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में मीडिया से कहा कि उनकी उपस्थिति और अटूट समर्थन ताइवान के लोगों को आश्वस्त करता है कि हम अकेले नहीं हैं।

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2022 में तत्कालीन हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद, एक साल से भी कम समय में त्साई दूसरी बार किसी शीर्ष अमेरिकी सांसद से मिलीं। वह अमेरिकी धरती पर यूएस हाउस स्पीकर से मिलने वाली ताइवान की पहली राष्ट्रपति भी हैं।

चीन अभी भी चाहता है ताइवान पर कब्जा करना

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन अमेरिका से पहले लैटिन अमेरिका के दौरे पर थीं। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के कैलिफोर्निया का दौरा किया। आपको बता दें कि चीन ने ताइवान पर 70 सालों तक शासन किया। इतने साल शासन करने के बाद भी चीन ताइवान को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में देखता है और अभी भी इस पर कब्जा करना चाहता है। ताइवान के अन्य देशों के साथ किसी भी आधिकारिक संपर्क पर बीजिंग हमेशा दखल देता है। वो हमेशा वन चाइना पॉलिसी पर जोर देता है। वहीं त्साई और मैककार्थी के मिलने के बाद चीन ने कड़ा विरोध जताया है।

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी सदन के स्पीकर केविन मैकार्थी से मुलाकात की। इस मुलाकात से पहले चीन ने ताइवान को देख लेने की धमकी दी थी। लेकिन इस धमकी को नजरअंदाज करके ताइवानी राष्ट्रपति यूएस हाउस की स्पीकर से मिलीं।

ताइवान एक सफल लोकतंत्र- अमेरिकी स्पीकर

वहीं, मीटिंग के बाद अमेरिकी स्पीकर ने ट्वीट किया। इसमें उन्होंने बताया कि ताइवान एक सफल लोकतंत्र, संपन्न अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य और विज्ञान में वैश्विक लीडर है। संवाद के माध्यम से हमारा सहयोग लगातार बढ़ रहा है।

वहीं, दूसरी ओर ताइवानी राष्ट्रपति वेन ने कहा कि गर्मजोशी से स्वागत के लिए धन्यवाद स्पीकर मैकार्थी। आपके पास आना और कैलिफॉर्निया की धूप का आनंद लेना खुशी की बात है क्योंकि हम ताइवान और अमेरिका के बीच के बंधन को मजबूत करने के लिए काम करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम एक साथ होते हैं तो हम मजबूत होते हैं, ताइवान के साथ खड़े होने के लिए हम अमेरिका के आभारी हैं।

हाउस स्पीकर ने कहा कि ताइवान और अमेरिका के लोगों के बीच दोस्ती दुनिया के लिए गहरा महत्व का विषय है। यह आर्थिक स्वतंत्रता, शांति और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

ताइवान एक सफल लोकतंत्र, संपन्न अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य और विज्ञान में वैश्विक नेता है। संवाद और आदान-प्रदान के माध्यम से हमारे सहयोग का विस्तार जारी है।

मैं आशावादी हूं कि हम एशिया में आर्थिक स्वतंत्रता, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका और ताइवान के लोगों के साथ मिलकर काम करने के तरीके ढूंढते रहेंगे।

बीजिंग ने की बैठक की निंदा

उधर, बीजिंग ने बैठक की निंदा की। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि चीन इसका विरोध करता है और इसकी कड़ी निंदा करता है।

सीएनएन ने बुधवार रात प्रवक्ता के हवाले से कहा, अमेरिका और ताइवान द्वारा की गई गलत कार्रवाई के जवाब में, चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठाएगा।

इसने अमेरिका से ताइवान मुद्दे का फायदा उठाकर चीन को रोकने और गलत और खतरनाक रास्ते पर आगे नहीं बढ़ने का भी आग्रह किया।

त्साई की अमेरिका यात्रा मध्य अमेरिका की उनकी यात्रा का हिस्सा थी, जो उन्हें इस सप्ताह ग्वाटेमाला और बेलीज ले गई। ताइवान लौटने से पहले कैलिफोर्निया आखिरी पड़ाव था। वह पहली बार 29 मार्च को न्यूयॉर्क पहुंची थीं।

गौरतलब है कि ताइवान खुद को एक संप्रभु राज्य मानता है, जबकि चीन इसे अपने देश के एक टूटे हुए प्रांत के रूप में देखता है।