Move to Jagran APP

अर्बन हीट आइलैंड्स के प्रभाव से बढ़ रहा शहरों का तापमान

अर्बन क्लाइमेट लैब के वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले दिनों में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दुनिया के बड़े शहरों का तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 28 Jul 2018 10:33 AM (IST)
Hero Image
अर्बन हीट आइलैंड्स के प्रभाव से बढ़ रहा शहरों का तापमान

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की अर्बन क्लाइमेट लैब के वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले दिनों में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दुनिया के बड़े शहरों का तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। यहां बनी गगनचुंबी इमारतें और सड़कों पर तेज रफ्तार में दौड़ते वाहन इन शहरों को भट्ठी में तब्दील कर देंगे।

ऐसा होगा अर्बन हीट आइलैंड्स प्रभाव के चलते जिसमें सौर विकिरण इमारतों के कंक्रीट में फंसा रह जाता है। चिंताजनक बात यह है कि शहरों में इस प्रभाव को खत्म करने के लिए कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ऐसे में इन शहरों के लोगों के लिए आने वाला समय मुश्किल होने वाला है क्योंकि यहां न तो उत्सर्जन सोखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पेड़ हैं और न ही दूसरे संसाधन।

अर्बन हीट आइलैंड्स

बड़े शहरों में ऊंची इमारतों और वाहनों से निकलने वाली गर्म हवा और कार्बन उत्सर्जन को वातावरण में घुलने की जगह नहीं मिलती। यह इमारतों के बीच ही फंस कर रह जाता है। इसमें सौर विकिरण के भी शामिल हो जाने से स्थिति और खराब हो जाती है। दिन हो या रात इन शहरों में हमेशा ही तापमान ज्यादा रहता है। ऐसे में ये शहर गर्मी के टापू बन जाते हैं, जिन्हें अर्बन हीट आइलैंड नाम दिया गया है।

क्या है अर्बन हीट आइलैंड?

अर्बन हीट आइलैंड (यूएचआई) वैसे महानगरीय इलाके को कहा जाता है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण अपने आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अत्यधिक गर्म होता है। इसके बारे में सबसे पहले चर्चा 1810 के दशक में ल्यूक हॉवर्ड ने की थी, हालांकि उन्होंने इसे नाम नहीं दिया था। ऊर्जा के उपभोग से उत्पन्न ताप में वृद्धि होती है और पेड़-पौधों में कमी, वाहनों की बढ़ती संख्या तथा बढ़ती आबादी का भी इसमें योगदान होता है।

भट्ठी बन रहे शहर

अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव के चलते सूरज ढलने के बाद भी शहर का तापमान कम नहीं होता है। बल्कि इमारतों के बीच फंसा उत्सर्जन वातावरण में घुलकर तापमान को और अधिक बढ़ाता है। ऐसे में दिन में तो शहरों में गर्मी का प्रकोप रहता ही है, रात को भी यह शहर भट्ठी की तरह तपते हैं।

गंभीर स्थिति

अमेरिकी राज्य एरिजोना की राजधानी और यहां के सबसे बड़े शहर फीनिक्स का हाल बेहद बुरा है। यहां का तापमान एक डिग्री प्रति दशक के हिसाब से बढ़ रहा है। पूरी पृथ्वी के तापमान बढ़ने से तीन गुना अधिक तेजी के साथ यहां तापमान वृद्धि हो रही है।

इन शहरों में बड़ा खतरा

मिस्र का काहिरा, भारत का मुंबई, दक्षिण अफ्रीका का जोहानिसबर्ग, अमेरिका का मेक्सिको सिटी और चीन का नानजिंग शहर खतरे के निशान पर हैं। यहां हीट आइलैंड प्रभाव के चलते रात के तापमान में तकरीबन 5.5 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो सकता है।

हीट आइलैंड प्रभाव से ऐसे निपट रहे शहर

फीनिक्स : यहां सरकारी अफसर हजारों की संख्या में पेड़ लगा रहे हैं और सार्वजनिक स्थानों को ठंडा रखने के लिए बारिश का पानी एकत्र कर रहे हैं।

लुइसविले: अमेरिका के केंचुकी में लुइसविले शहर में बीते तीन वर्षों में 10 हजार से अधिक पेड़ लगाए गए हैं।

शिकागो : यहां तकरीबन पांच लाख पेड़ हैं जिनकी देखरेख होती है, जिससे बढ़ते तापमान को कम किया जा सके। यह उन शहरों में अग्रणी है जहां छतों पर हरियाली उगाई गई है।

लॉस एंजिलिस : 2014 में एक नियम लागू किया जिसके तहत नए घरों को परावर्तन करने वाली ठंडी छतें लगाना जरूरी था। सिएटल शहर अपने जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाने का काम कर रहा है।

ये कदम जरूरी

- शहरों में ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाए। ऊर्जा की कम खपत और कम उत्सर्जन करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ाया जाए।

- अधिक से अधिक पौधरोपण किया जाना चाहिए। अगर खाली जगह न हो, तो घरों की छतों और बालकनी में पौधे लगाए जा सकते हैं।

- छतों पर सूरज की गर्मी को परावर्तित करने वाली तकनीक लगाई जा सकती हैं।

- पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने से भरपूर बारिश होगी जिससे यह प्रभाव कम होता है।