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पहले मजबूर महसूस करते थे लेकिन अब कुछ कर दिखाने का मिला है मौका, बच्‍चे भी करते हैं गर्व

अमेरिका ने कोरोना वायरस के टीके को विकसित कर इसका परीक्षण शुरू कर दिया है। इसके लिए जो वोलेंटियर्स सामने आए हैं उनका परिवार काफी गौरवांवित महसूस कर रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 17 Mar 2020 11:51 PM (IST)
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पहले मजबूर महसूस करते थे लेकिन अब कुछ कर दिखाने का मिला है मौका, बच्‍चे भी करते हैं गर्व
वाशिंगटन [एपी]। कोरोना वायरस अब तक 152 देशों में फैल चुका है। वहीं चीन और अमेरिका ने इसके टीके को विकसित करने का दावा किया है। अमेरिका में इन टीकों का इंसानों पर परीक्षण भी शुरू हो गया है। इसके परीक्षण के लिए कुछ वोलेंटियर आगे आए हैं। इनमें से ही एक का नाम जेनिफर हेलर है। 43 वर्षीय जेनिफर अपनी मर्जी से बतौर वोलेंटियर इस टीके के परीक्षण के लिए आगे आई हैं। 

सिएटल के केसर परमानेंट वाशिंगटन रिसर्च इंस्टिट्यूट ने इस टीके को रिकॉर्ड समय में विकसित किया है। इसके परीक्षण की शुरुआत पर इंस्टिट्यूट की स्‍टडी लीडर डॉक्‍टर लीजा जैकसन ने कहा कि अब सब एक टीम हैं। टीम का हर सदस्‍य जानना चाहता है कि वह ऐसी आपात स्थिति में क्‍या कर सकता है।  

इस टीके परीक्षण के तौर पर खुद को समर्पित करने वाली जेनिफर अपने पर टीके के परीक्षण की शुरुआत से पहले कहा कि वो पहले खुद को पूरी तरह से हेल्‍पलैस महसूस कर रही थीं। लेकिन अब उन्‍हें कुछ कर दिखाने का मौका मिला है। उनके दो छोटे बच्‍चे हैं। उन्‍हें भी पता है कि जेनिफर इस तरह के परीक्षण का हिस्‍सा बन रही हैं। इसको जानने के बाद भी वह काफी शांत थे। जब जेनिफर को परीक्षण के तौर पर टीका लगाया गया और वो कमरे से बाहर निकलीं तो उनके चेहरे पर हंसी थी। बाहर आकर उन्‍होंने कहा कि वह काफी अच्‍छा महसूस कर रही हैं। जेनिफर के बाद वहां पर तीन और वोलेंटियर भी मौजूद थे जिनपर इस टीके का परीक्षण करना था। इस टीके के परीक्षण के लिए कुल 45 वोलेंटियर्स को दो डोज दी जाएंगी।   

जेनिफर के अलावा नील ब्राउनिंग ने भी इस टीके के परीक्षण के लिए सामने आए हैं। वे माइक्रोसॉफ्ट में नेटवर्क इंजीनियर हैं। उन्‍होंने इस दौरान कहा कि उनकी बेटियां उनपर गर्व महसूस कर रही हैं कि वो इस परीक्षण के लिए सामने आए हैं।  

उनका कहना है सभी मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्‍चे उनकी देखरेख में रहें। उन्‍होंने अपने बच्‍चों से ये भी कहा कि उन्‍होंने इस परीक्षण के लिए खुद को समर्पित किया है इसको लेकर अपने दोस्‍तों के सामने बढ़-चढ़कर न बताएं। यही बात दूसरों पर भी लागू होती है। 

सोमवार का दिन इस टीके को विकसित करने वालों के लिए इसलिहाज से काफी बड़ा था। यूएस नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हैल्‍थ के डॉक्‍टर एंथनी फॉकी के मुताबिक परीक्षण के ही नतीजे बताएंगे कि विकसित किया गया टीका कोरोना वायरस को खत्‍म करने में कितना कारगर साबित होता है। यदि इसके नतीजे सकारात्‍‍‍‍मक भी आए तब भी ये टीका 12 से 18 माह तक लोगों की पहुंच से दूर ही रहेगा।  

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के टीके का इंतजार आज पूरी दुनिया कर रही है। खुद अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को इसका इंतजार है। इसका जिक्र उन्‍होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में भी किया था। डॉक्‍टर एंथनी का कहना है कि कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुए 65 दिन गुजर चुके हैं। उनके मुताबिक इस रिकॉर्ड टाइम में पहले शायद ही किसी टीके को विकसित कर उसका परीक्षण किया

मेसाचुसेट आधारित बायोटेक्‍नोलॉजी कंपनी मॉडेर्ना इंक और एनआईएच ने जो टीका विकसित किया है उसका कोडनेम mRNA-1273 रखा गया है। इसको विकसित करने वाली टीम के एक सदस्‍य का कहना था कि इस टीके के परीक्षण के दौरान कोरोना वायरस से पीडि़त होने का कोई चांस नहीं है क्‍योंकि इस टीके में ऐसा कोई वायरस नहीं है। 

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