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भारत पर ट्रूडो के आरोप शर्मनाक, खालिस्तानी आंदोलन चलाने वालों की कठपुतली बने कनाडाई पीएम: अमेरिकी विशेषज्ञ

अमेरिका विशेषज्ञ माइकल रुबिन ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को शर्मनाक और निंदनीय करार देते हुए अमेरिका से इसका हिस्सा न बनने का आग्रह किया है। अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि सवाल यह उठता है कि अगर यह लोकलुभावन राजनीति नहीं की जा रही है तो फिर यह विरोधाभास क्यों?

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Thu, 21 Sep 2023 12:02 AM (IST)
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अमेरिकी विशेषज्ञ ने अमेरिका से इस विवाद का हिस्सा न बनने का किया आग्रह।

वाशिंगटन, पीटीआई। अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने का आरोप लगाकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो चारों तरफ से घिर गए हैं। उनकी आलोचना हो रही है।

अमेरिकी विशेषज्ञ ने ट्रूडो के आरोपों को बताया शर्मनाक

ट्रूडो को आस थी कि भारत-कनाडा विवाद में कम से कम उसके साथ फाइव आइज अलायन्स में शामिल देश अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तो उसका साथ देंगे लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। इसी बीच एक अमेरिका विशेषज्ञ ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के ट्रूडो के आरोपों को शर्मनाक और निंदनीय करार देते हुए अमेरिका से इसका हिस्सा न बनने का आग्रह किया है।

अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में आयोजित एक पैनल चर्चा में दावा किया कि ट्रूडो उन लोगों के हाथों की कठपुतली बन रहे हैं, जो खालिस्तानी आंदोलन को अहंकार और अपने लाभ के आंदोलन के रूप में देखते हैं।

रुबिन ने कहा कि ट्रूडो के इस शर्मनाक और निंदनीय कदम में चौंकाने वाली बात यह है कि वह निज्जर की हत्या मामले में तो बयान दे रहे हैं, लेकिन देश की पुलिस पाकिस्तान की कथित मदद से हुई करीमा बलूच की हत्या की जांच कर रही है और प्रधानमंत्री कार्यालय ने अब तक इस मामले का संज्ञान नहीं लिया है।

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खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश

अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि सवाल यह उठता है कि अगर यह लोकलुभावन राजनीति नहीं की जा रही है तो फिर यह विरोधाभास क्यों? इससे जस्टिन ट्रूडो को लंबी अवधि में मदद मिल सकती है, लेकिन यह कोई अच्छा नेतृत्व नहीं है। रुबिन ने कहा कि अमेरिका में और कनाडा में हमारे नेताओं के अधिक जिम्मेदाराना रुख अपनाने की जरूरत है, क्योंकि वे आग से खेल रहे हैं।

रुबिन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ बाहरी तत्व खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह कोशिश रंग लाएगी। मैं नहीं चाहता कि अमेरिका बाहरी तत्वों की इस तरह की निंदक चालों को अनुमति दे। अचानक किसी अलगाववादी आंदोलन को फिर से उभरते देखना और तर्क देना कि यह सही है, एक बहुत बड़ी गलती होगी।

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