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'यदि लगा कि किम से बातचीत सही दिशा में नहीं बढ़ रही तो छोड़ दूंगा वार्ता'

उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच अप्रेल में होने वाली वार्ता पर पूरे विश्‍व की निगाहें लगी हुई हैं। वर्षों बाद वह पल सामने आने वाला है जिसको लेकर लगभग सभी देश कोशिश कर रहे थे।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 12 Mar 2018 05:11 PM (IST)
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'यदि लगा कि किम से बातचीत सही दिशा में नहीं बढ़ रही तो छोड़ दूंगा वार्ता'

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच अप्रेल में होने वाली वार्ता पर पूरे विश्‍व की निगाहें लगी हुई हैं। वर्षों बाद वह पल सामने आने वाला है जिसको लेकर लगभग सभी देश कोशिश कर रहे थे। भले ही यह सब दबाव की राजनीति हो या कोई राजनीतिक चाल लेकिन फिलहाल इस पल से पूरी दुनिया में शांति की पहल जरूर हुई है। अप्रेल में होने वाली इस वार्ता से पूर्व उत्तर और दक्षिण कोरिया में भी वार्ता होनी है। इसमें किम जोंग उन और राष्‍ट्रपति मून हिस्‍सा लें‍गे जबकि अमेरिका से होने वाली वार्ता में वर्षों बाद कोई अमेरिकी राष्‍ट्रपति उत्तर कोरियाई सरकार के प्रमुख के सम्‍मुख होगा।

किम से बातचीत के लिए अमेरिका राजी

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इस बातचीत के लिए अपनी सहमति पहले ही दे चुके हैं। इस बातचीत को तय करने में दक्षिण कोरिया के सुरक्षा सलाहकार चुंग इयू योंग ने काफी अहम भूमिका निभाई है। वही पहले उत्तर कोरिया जाकर किम जोंग उन से मिले थे फिर अमेरिका जाकर ट्रंप से भी भेंट की थी। फिलहाल वह दक्षिण कोरिया वापस लौट चुके हैं। चुंग ने शांति की तरफ हो रही पहल को लेकर सभी का धन्‍यवाद भी किया है। इस मौके पर उन्‍होंने किम के बातचीत के फैसले को लेकर भी तारीफ की है। उनका कहना था कि दक्षिण कोरिया अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है कि इस दिशा में हमें सफलता हासिल हो, इसकी ही उम्‍मीद पूरी दुनिया लगाए हुए है।

ट्रंप का रुख सकारात्‍मक

दक्षिण कोरियाई न्‍यूज एजेंसी यॉनहॉप ने लिखा है कि ट्रंप ने उत्तर कोरिया के तानाशाह द्वारा दिए गए सुझावों पर सकारात्‍मक रवैया अपनाया है। इसके अलावा दक्षिण कोरिया की इंटेलिजेंस सेवा के प्रमुख सुह हून सोमवार को ट्रंप के साथ हुई वार्ता की जानकारी देने के लिए जापान जाने वाले हैं। इसके बाद वह रूस और चीन भी जाएंगे। ट्रंप के साथ हुई वार्ता के दौरान अमेरिका की तरफ से एक बात बेहद स्‍पष्‍ट कर दी गई है कि किम से होने वाली ये बातचीत या तो किसी नतीजे पर पहुंचेगी या फिर विफल हो जाएगी। नयूयार्क टाइम्‍स के मुताबिक ओवल ऑफिस में भेंटवार्ता के दौरान ट्रंप ने यह बात चुंग को कही है। इन सभी के बाद भी इस मुलाकात को लेकर हर तरफ एक गहमागहमी जरूर है और माना जा रहा है कि शांति की तरफ हो रहे इन प्रयासों से तनाव कम करने में जरूर मदद मिलेगी।

इतिहास बनाने का सही समय

आपको यहां बता दें कि ट्रंप से हुई इस मुलाकात के दौरान चुंग ने यह भी कहा कि किम जोंग उन बातचीत के लिए काफी गंभीर हैं और अमेरिका से भी बातचीत को वह इच्‍छुक हैं। यह समय इतिहास बदलने का है। इसी दौरान उन्‍होंने ट्रंप को किम से बातचीत का न्‍योता भी दिया जिसको ट्रंप ने सहर्ष स्‍वीकार कर लिया। हालांकि वहां मौजूद जिम मैटिस बार बार इस बात को कहते रहे कि ट्रंप के लिए उत्तर कोरिया जाना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन ट्रंप ने उनकी बात नहीं मानीं और बातचीत के लिए हामी भर दी। दोनों के बीच यह बातचीत करीब 45 मिनट चली। इसके साथ ही इस बातचीत में एक इतिहास बनाने की नींव भी रख दी है। अब देखना दिलचस्‍प होगा कि यह बातचीत क्‍या मोड़ लेती है।

किम का बयान

आपको यहां पर यह भी बता देंते हैं कि ट्रंप यह भी कह चुके हैं कि किम से बातचीत के दौरान यदि उन्‍हें यह लगा कि इसमें प्रगति नहीं हो पा रही है तो वह बातचीत उसी समय छोड़ देंगे। उन्‍होंने यह भी कहा है कि यदि उत्तर कोरिया शांति चाहता है और यह उसके लिए सबसे उपयुक्त समय है। इससे पहले वॉशिंगटन में ट्रंप ने संभावित बातचीत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए कहा था कि उत्तर कोरिया इस बात पर सहमत हो गया है कि जबतक प्रस्तावित मुलाकात नहीं होती, तब तक वह कोई मिसाइल परीक्षण नहीं करेगा। ट्रंप ने ट्विटर पर लिखा, 'उत्तर कोरिया ने 28 नवंबर 2017 के बाद से कोई भी मिसाइल परीक्षण नहीं किया है और वादा किया है कि हमारी मुलाकात होने तक वह ऐसा नहीं करेगा। मुझे यकीन है कि वे इस प्रतिबद्धता का सम्मान करेंगे।'

विंटर ओलंपिक की बड़ी भूमिका

यहां पर यह बताना बेहद जरूरी होगा कि नवंबर 2017 से लेकर अब तक किम की तरफ से अमेरिका को लेकर लगातार तीखी बयानबाजी तो जरूर की गई लेकिन वहीं दक्षिण कोरिया की तरफ दोस्‍ती का हाथ भी बढ़ाया गया था। यही वजह थी कि उन्‍होंने दक्षिण कोरिया में पहले विंटर ओलंपिक और फिर पेराओलंपिक के लिए अपने खिलाड़ी सियोल भेजे थे। इसके अलावा किम की बहन भी विंटर ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी में वीआईपी लॉज में ही मौजूद थीं। वहां पर उन्‍हें पूरी तवज्‍जो दी गई थी। किम की बहन के ठीक आगे इस ओलंपिक में गए अमेरिका के उप राष्‍ट्रपति माइक पेंस भी बैठे, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच शिष्‍टाचार मुलाकात तक नहीं हुई थी।