ट्रंप की नई कैबिनेट ने उड़ाई पाकिस्तान की नींद, अमेरिका की इस स्पेशल लिस्ट में कही नहीं पड़ोसी मुल्क का नाम
पाकिस्तान आगामी ट्रंप कैबिनेट के नामों की घोषणा से खासा परेशान है। इसकी वजह ये है कि ट्रंप की कैबिनेट में अधिकतर नेता वही हैं जो पाकिस्तान के प्रति अच्छे विचार नहीं रखते। बता दें कि जिन नामों का ऐलान हुआ है उससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि ट्रंप सरकार के लिए भारत प्राथमिकता सूची में काफी ऊपर है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अपनी कैबिनेट के कई सहयोगियों का चुनाव कर चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान आगामी ट्रंप कैबिनेट के नामों की घोषणा से खासा परेशान है। इसकी वजह ये है कि ट्रंप की कैबिनेट में अधिकतर नेता वही हैं, जो पाकिस्तान के प्रति अच्छे विचार नहीं रखते।
पाकिस्तानी नीति निर्माता ट्रंप की पसंद पर कड़ी नजर रख रहे हैं, जो अमेरिकी प्रशासन की भावी विदेश नीति का संकेत है। बता दें कि जिन नामों का एलान हुआ है, उससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि ट्रंप सरकार के लिए भारत प्राथमिकता सूची में काफी ऊपर है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी विदेश नीति की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं है।
क्यो परेशान है पाकिस्तान?
इस्लामाबाद खुद को मुश्किल स्थिति में पाता है क्योंकि ट्रंप ने विदेश मंत्री, रक्षा सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और जासूसी एजेंसी सीआईए प्रमुख के लिए जो उम्मीदवार चुने हैं, वे सभी पाकिस्तान के प्रति बहुत आलोचनात्मक विचार रखते हैं, भारत के प्रति उनका रवैया काफी सकारात्मक है। वॉशिंगटन की विदेश नीति में जगह नहीं मिलने के कारण, पाकिस्तान में टॉप सरकारी और सैन्य अधिकारी कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से रणनीति बनाने की जद्दोजहद में हैं। ट्रंप की नई कैबिनेट लिस्ट में एक नाम तुलसी गोबार्ड का भी है, जो अक्सर पाकिस्तान को निशाने पर लेती रहती है।भारत के साथ बढ़ेगी अमेरिका की दोस्ती
सीनेटर मार्को रुबियो को अगले अमेरिकी फॉरेन मिनिस्टर के रूप में नामित किया गया है। बता दें कि उन्होंने ही भारत का समर्थन करने वाला एक बिल पेश किया था। बिल जिसका नाम 'यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट' है रुबियो की तरफ सीनेट में पेश किया गया, इसमें क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए भारत के साथ विस्तारित रक्षा सहयोग का भी एलान किया गया।
विधेयक के अनुसार, अमेरिका को सलाह दी गई थी कि वह टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में भारत के साथ जापान, इजरायल, दक्षिण कोरिया और नाटो को शीर्ष सहयोगी समझे। बिल में यह भी सुझाव दिया कि नई दिल्ली को रक्षा, डिफेंस, आर्थिक निवेश और नागरिक अंतरिक्ष में सहयोग के माध्यम से पूर्ण सुरक्षा सहायता प्रदान की जानी चाहिए।