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यूएन में कश्मीर पर नरम पड़ा तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का रुख, पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका !

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने संयुक्त राष्ट्र की 76वीं आम सभा में एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया। हालांकि इस बार कश्मीर को लेकर तुर्की के रुख में नरमी दिखी। पाकिस्तान की इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Wed, 22 Sep 2021 11:55 AM (IST)
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तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) और इमरान खान।(फोटो: फाइल)
संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) का रुख नरम पड़ा है। इसका नजारा संयुक्त राष्ट्र की 76वीं आम सभा देखने को मिला। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया, लेकिन इस बार तुर्की का रुख थोड़ा नरम दिखा। एर्दोगन ने यूएन महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि तुर्की, कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अपने रुख़ पर कायम है। उन्होंने कहा कि पिछले 74 सालों से कश्मीर समस्या उलझी हुई है और इसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत दोनों पक्षों को सुलझाना चाहिए।

हालांकि, इस बार तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन यूएन महासभा में कश्मीर को लेकर नरम दिखे। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की की 75वीं आम सभा में राष्ट्रपति एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा काफ़ी ज़ोर-शोर से उठाया था। पिछली बार एर्दोगन ने कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने का मुद्दा उठाया था, लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। इस बार एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा अफ़ग़ानिस्तान, इजरायल, सीरिया, लीबिया, यूक्रेन, अज़रबैजान और चीन में उइगर मुसलमानों के बाद उठाया।

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की महासभा में एर्दोगन ने उइगर मुसलमानों का मुद्दा नहीं उठाया था, लेकिन इस बार उठाया। पिछली बार इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई थी।

पिछली बार कश्मीर पर क्या कहा था ?

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करते हुए एर्दोगन ने कश्मीर पर अलग अंदाज में भाषण दिया था। एर्दोगन ने तब कहा था- ''कश्मीर संघर्ष दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिहाज़ से काफ़ी अहम है। यह अब भी एक ज्वलंत मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से स्थिति और जटिल हो गई है।'

पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

एर्दोगन ने कश्मीर के समाधान में यूएन के प्रस्ताव और संवाद की बात तो कही, लेकिन कश्मीर के लोगों की उम्मीद वाली बात नहीं कही। पिछले साल एर्दोगन की इस टिप्पणी पर पाकिस्तान ने काफ़ी उत्साह दिखाया था, लेकिन इस बार पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।इस बार एर्दोगन के बयान पर न तो पाकिस्तान की तरफ़ से कोई गर्मजोशी वाली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है और न ही वहां कोई उत्साह है।

हालांकि, भारत की ओर से भी एर्दोगन की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।