NATO में शामिल होने के लिए यूक्रेन को किन कठिनाइयों का करना होगा सामना, बाइडन ने किस मानक का पालन करने को कहा?
रूस और यूक्रेन दोनों देशों के बीच जारी युद्ध के बीच एक बार फिर यूक्रेन को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए सभी मानकों को पूरा करना होगा। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, सोनू गुप्ता। यूक्रेन पर रूस का आक्रामक रुख पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं, रूस और यूक्रेन दोनों देशों के बीच जारी युद्ध के बीच एक बार फिर यूक्रेन को बड़ा झटका लगा है। इस बार यह झटका रूस या फिर किसी अन्य दुश्मन देशों के नहीं दिया है बल्कि इस बार यूक्रेन को झटका अमेरिका ने दिया है। इस झटके से यूक्रेन का नाटो में शामिल होने का सपना एक बार फिर टूटता हुआ दिख रहा है।
यूक्रेन को नाटो में शामिल करने पर क्या बोले राष्ट्रपति बाइडन?
दरअसर, अगले माह लिथुआनिया में अमेरिका के वर्चस्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) नेताओं की बैठक होने वाली है। बैठक से एक माह पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए सभी मानकों को पूरा करना होगा। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस सैन्य गठबंधन में शामिल करने के लिए यूक्रेन को किसी भी तरह की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जाएगी।
राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने पर क्या कहा?
उन्होंने कहा, "यूक्रेन को अन्य देशों की ही तरह सामान्य मानकों को पूरा करना होगा। और हम इसे आसान नहीं बनाने जा रहे हैं। नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए यूक्रेन के पास कोई आसान रास्ता नहीं है। इस संगठन में शामिल होने के लिए अमेरिका यूक्रेन के लिए विशेष व्यवस्था नहीं करेगा।"
क्या है बुखारेस्ट वादा जिसको नाटो ने अभी तक नहीं किया पूरा?
मालूम हो कि साल 2008 में बुखारेस्ट में नाटो का शिखर सम्मेलन हुआ था। इस दौरान 1991 के अंत तक सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन को नाटो में शामिल होने की सहमति व्यक्त की थी। इस दौरान नाटो के सभी सदस्य देशों ने कहा था कि यूक्रेन को नाटो गठबंधन में शामिल कर लिया जाएगा। हालांकि, नाटो नेताओं ने इस दिशा में अभी तक किसी भी तरह के कदम उठाने से परहेज किया है।
यूक्रेन के नाटो में शामिल होने से बड़े स्तर पर होगा युद्ध का खतरा
मालूम हो कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका सहित कई यूरोपीय देश यूक्रेन के किसी न किसी माध्यम से मदद कर रहे हैं। हालांकि, सभी सदस्य देशों के यूक्रेन को मदद करने के बाद भी उसे नाटो में शामिल नहीं किया जा रहा है। यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने के पीछे सबसे बड़ा कारण NATO चार्टर का आर्टिकल-5 है।
नाटो में शामिल होने से पहले यूक्रेन को कौन से मानकों को करना होगा पूरा?
इस आर्टिकल के मुताबिक, सहयोगी देशों पर किसी भी तरह के हमले को सभी सहयोगी देशों के खिलाफ हमला माना जाएगा, जिसका सभी नाटो देश एक साथ मिल कर उस बाहरी देश का मुकाबला करेंगे। रूस के साथ युद्ध के दौरान अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो आर्टिकल-5 सक्रिय हो जाएगा। हालांकि, यूक्रेन के नाटो में शामिल नहीं हो पाने के कारण यह संगठन यूक्रेन को आधिकारिक तौर पर मदद मुहैया नहीं करा पा रहा है। नाटो में शामिल होने से पहले यूक्रेन को आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहित कुछ मानकों को पूरा करना होगा।
यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय देशों से मिल रहा मदद
मालूम हो कि नाटो पहले से ही यूक्रेन के लिए प्रतिबद्ध है। NATO महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने कहा कि यूक्रेन रूसी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी जवाबी कार्रवाई लगातार तेज कर रहा है। कई नाटो सदस्य देश यूक्रेन को मदद दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि नाटो नेताओं की अगले माह लिथुआनिया में बैठक होने वाली है, जिसमें कीव को सैन्य सहायता बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञों की माने तो नाटो के कई सदस्य यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार, टैंक और लड़ाकू विमान मुहैया कर रहा है, जिसका मतलब है कि यूक्रेन के पास अनाधिकारिक रूप से नाटो की सुरक्षा है।
क्या है नाटो?
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है। हाल ही में फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के बाद इसके सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है। इस संगठन को साल 1949 में गठन किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य रक्षा और सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देना था। नाटो को जिस समय गठित किया गया उस समय इसके कुल 12 संस्थापक सदस्य थे। हालांकि, 19 सदस्य देशों ने बाद में इस संगठन में शामिल हो गए।