अफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी प्रमुख की चेतावनी, जल्द खड़ा हो सकता है मानवीय संकट
अफगानिस्तान में जल्द ही मानवीय संकट पैदै हो सकता है। इसको लेकर युक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चेतावनी दी है। सूखे और कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश में 35 लाख से अधिक अफगान पहले ही विस्थापित हो चुके हैं।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Thu, 16 Sep 2021 12:35 PM (IST)
रायटर, वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए अफगानिस्तान को तत्काल समर्थन देने के लिए कहा है। इसके साथ ही एजेंसी के प्रमुख ने इस बात का भी जिक्र किया है कि अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा।
शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने दक्षिण एशियाई देश की तीन दिवसीय यात्रा के बाद एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। उन्होंने बुधवार के कहा कि अफगानिस्तान में अगर सार्वजनिक सेवाएं और अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाती है, तो हमें देश के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर और भी अधिक पीड़ा, अस्थिरता और विस्थापन देखनी पड़ सकती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के साथ जुड़ना चाहिए और एक बहुत बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए वैश्विक प्रयास करना चाहिए।
पिछले महीने तालिबान के सत्ता में आने से पहले ही ग्रैंडी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि 1.8 करोड़ से अधिक अफगान या लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी। सूखे और कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश में 35 लाख से अधिक अफगान पहले ही विस्थापित हो चुके हैं। तालिबान के कब्जे के बाद से देश में गरीबी और भूख बढ़ गई है। उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में अफगान लोगों ने सीमा पार कर अन्य देशों में जाने का प्रयास किया हो लेकिन देश में हालत यदि बदतर होते हैं तो परिस्थितियां बदल सकती हैं।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने इस सप्ताह एक अंतरराष्ट्रीय सहायता सम्मेलन में कहा था कि अफगान नागरिका 'शायद अपने सबसे खतरनाक समय' का सामना कर रहे हैं। सम्मेलन में दानदाताओं ने अफगानिस्तान की मदद के लिए लगभग 147 करोड़ रुपये के आवंटन का वादा किया था। इस दौरान गुतेरस ने कहा, अफगानिस्तान के लोगों को जीवन रेखा की जरूरत है। दशकों की ल़़डाई, परेशानी और असुरक्षा का सामना करने वाले अफगान इस समय शायद सबसे बड़े संकट का सामना कर रहे हैं।