UN की विशेष दूत ने राजनीतिक समझौते के लिए तालिबान की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया, कही यह बात
फगानिस्तान में पैर पसारते जा रहे तालिबान पर अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत डेबोरा लियोन ने अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने राजनीतिक समझौते के लिए तालिबान की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाएं।
By Avinash RaiEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 03:53 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र, रायटर। अफगानिस्तान में पैर पसारते जा रहे तालिबान पर अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत डेबोरा लियोन ने अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने राजनीतिक समझौते के लिए तालिबान की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाएं। साथ ही उन्होंने बोला कि देश में चल रहे गृहयुद्ध अब एक घातक और विनाशकारी दौर में है, पिछले महीने तालिबान के हमलों से 1,000 से ज्यादा आम नागरिक मारे जा चुके हैं।
यूएनएएमए की विशेष दूत डेबोरा लियोन ने तालिबान से बातचीत के माध्यम से सुलह करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी को वास्तव में बातचीत के माध्यम से सुलाह करनी होती है, तो वह आम नागरिकों को मारने का जोखिम नहीं उठाते हैं, क्योंकि इससे सुलह की प्रक्रिया अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान में अब एक अलग तरह का युद्ध चल रहा है, यहां के युद्ध ने सीरिया की याद ताजा कर दी है। शहरों में हमला कर उसे जानबूझकर भारी नुकसान पहुंचाना और बड़े पैमाने पर नागरिक को हताहत करना है। यह तालिबान द्वारा एक रणनीतिक निर्णय प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस साल अनियमित और कानूनी प्रवास संख्या दोगुनी हो जाएगी।
रूस के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने परिषद को बताया कि अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति बढ़ती चिंता का विषय है और विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ, यह मुद्दा और भी अधिक गंभीर होता जा रहा है। अफगानिस्तान सरकार के पिछे हटने और लंबे समय तक गृहयुद्ध की आशंका, दुर्भाग्य से एक कटु सच्च है।
देश में 20 साल के युद्ध के बाद विदेशी सेना घर वापसी कर ली है। तालिबान ने अप्रैल से ही अफगान सरकार को हराने के लिए अपने अभियान को तेज कर दिया था। तालिबान देश के आधे से अधिक हिस्सों पर अपना कब्जा जमा चुका है। तालिबान ने शुक्रवार को काबुल में एक अफगान प्रांतीय राजधानी पर कब्जा कर लिया और सरकार के शीर्ष मीडिया अधिकारी की हत्या कर दी।