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Pannun Murder Plot: निखिल गुप्ता की याचिका पर अमेरिकी अदालत ने सरकार से मांगा जवाब, आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश का है आरोप

4 जनवरी 2024 को बचाव पक्ष के वकील ने दस्तावेज की मांग को लेकर अदालत के समक्ष एक एक प्रस्ताव दायर किया जिसमें अनुरोध किया गया कि अदालत एक आदेश जारी करे जिसमें सरकार को बचाव पक्ष के वकील को संबंधित दस्तावेज प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। जिसपर सुनवाई करते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश विक्टर मारेरो ने आदेश दिया कि सरकार तीन दिनों के भीतर इसका जवाब दे।

By Jagran News Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Thu, 11 Jan 2024 10:24 AM (IST)
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अमेरिकी अदालत ने संघीय सरकार को निखिल गुप्ता की याचिका पर जवाब देने का आदेश दिया है।

पीटीआई, न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क की एक अदालत ने संघीय सरकार को निखिल गुप्ता के वकीलों द्वारा दायर एक याचिका पर जवाब देने का आदेश दिया है, जिसमें अमेरिकी धरती पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश में उसके खिलाफ आरोपों से संबंधित सामग्री की मांग की गई है।

4 जनवरी, 2024 को बचाव पक्ष के वकील ने दस्तावेज की मांग को लेकर अदालत के समक्ष एक एक प्रस्ताव दायर किया, जिसमें अनुरोध किया गया कि अदालत एक आदेश जारी करे, जिसमें सरकार को बचाव पक्ष के वकील को संबंधित दस्तावेज प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। जिसपर सुनवाई करते हुए अमेरिकी जिला न्यायाधीश विक्टर मारेरो ने आदेश दिया कि सरकार तीन दिनों के भीतर इसका जवाब दे।

अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि गुप्ता अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता रखने वाले सिख अलगाववादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू को मारने की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम कर रहे थे।

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संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के वकील मैथ्यू जी. ऑलसेन ने कहा है कि भारत के 52 वर्षीय गुप्ता पर हत्यारे को हायर करने और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, जिसमें अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है।

अभियोजकों ने कहा कि चेक अधिकारियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका और चेक गणराज्य के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत 30 जून, 2023 को गुप्ता को गिरफ्तार किया। परिवार ने पिछले दिनों भारतीय सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा था कि निखिल गुप्ता यात्रा पर चेक गणराज्य गए थे। उन्हें 30 जून को प्राग हवाई अड्डे पर अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और लगभग 100 दिनों तक एकांत कारावास में रखा गया। आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।

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