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अदाणी को सीधे नोटिस नहीं दे सकती अमेरिकी एजेंसी, पढ़ें क्या है समन भेजने का नियम

अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अदालत में चल रहे मामले को लेकर सूत्रों का दावा है कि वहां के एसईसी को समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी को समन भेजने के लिए राजनयिक चैनलों का सामना करना होगा। एसईसी के पास किसी विदेशी नागरिक को सीधे नोटिस देने का कोई अधिकार नहीं है। एसईसी चाहती है कि अदाणी आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करें।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 24 Nov 2024 11:00 PM (IST)
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एसईसी के पास किसी विदेशी नागरिक को सीधे नोटिस देने का कोई अधिकार नहीं है। (File Image)
पीटीआई, न्यूयॉर्क। अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) को अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी तथा उनके भतीजे सागर को कथित 26.5 करोड़ डॉलर (2,200 करोड़ रुपये) के रिश्वत मामले में उचित राजनयिक चैनलों के जरिये समन भेजना होगा। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि एसईसी के पास किसी विदेशी नागरिक को सीधे नोटिस देने का कोई अधिकार नहीं है।

एसईसी चाहती है कि अदाणी अनुकूल सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत देने के आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करें। पूरे मामले से अवगत दो सूत्रों ने कहा कि इस अनुरोध को स्थापित प्रोटोकॉल के तहत अमेरिका में भारतीय दूतावास के माध्यम से भेजना होगा और अन्य राजनयिक औपचारिकताओं का पालन करना होगा। अमेरिकी एसईसी का विदेशी नागरिकों पर कोई अधिकार नहीं है और वह उन्हें डाक द्वारा कुछ भी नहीं भेज सकती।

अदाणी को फिलहाल नहीं सौंपा गया कोई समन

1965 का हेग सम्मेलन और भारत-अमेरिका के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि ऐसे मामलों को नियंत्रित करती है। सूत्रों के मुताबिक यह समन एसईसी के न्यूयॉर्क की अदालत के समक्ष दायर कानूनी दस्तावेज का हिस्सा है और इसे अदाणी तक पहुंचने में कुछ समय लगेगा। अभी तक अदाणी को कोई समन नहीं सौंपा गया है।

बताते चलें, गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर सहित सात अन्य पर बुधवार को न्यूयॉर्क की एक अदालत में मुकदमा शुरू हुआ। इसके मुताबिक इन लोगों ने अनुकूल सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध पाने के लिए 2020 और 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 26.5 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी।

आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

उद्योगपति गौतम अदाणी के खिलाफ अमेरिका में कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप की जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस कदम से समूह द्वारा किया गया कदाचार सार्वजनिक हो गया है। यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा हिंडनबर्ग विवाद को लेकर दायर याचिकाओं में एक अंतरिम आवेदन के रूप में दाखिल की गई है।