पाकिस्तान का तुर्की अटैक हेलिकॉप्टर पाने का ख्वाब रहा अधूरा, अमेरिका ने लगाया डील में पलीता
पाकिस्तान और तुर्की के बीच हुई अरबों की हेलीकॉप्टर डील पर लगातार पेंच फंसा हुआ है। अमेरिका ने तुर्की को इंजन एक्सपोर्ट करने का लाइसेंस देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद तुर्की ने पाकिस्तान से छह माह का और समय मांगा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 18 Mar 2021 07:27 AM (IST)
वाशिंगटन (रॉयटर्स)। पाकिस्तान और तुर्की के खिलाफ अमेरिका का सख्त रवैया अब इन दोनों के बीच हुई हेलीकॉप्टर डील पर भारी पड़ रहा है। दोनों देशों के बीच ये डील वर्ष 2018 में हुई थी। 1.5 बिलियन डॉलर की इस डील के तहत पाकिस्तान को तुर्की में निर्मित 30 अटैक हेलीकॉप्टर (T129 Atak) देने थे। इस डील पर यूं तो शुरुआत से ही पेंच फंसा हुआ था, लेकिन तुर्की ने इसको नजरअंदाज कर आगे बढ़ने की कोशिश की थी, जिसमें उसको मुंह की खानी पड़ी। दरअसल, इस हेलीकॉप्टर में इंजन समेत कुछ दूसरे जरूरी उपकरण अमेरिका में बने हैं। इन उपकरणों और इंजन को बेचने का लाइसेंस तुर्की के पास नहीं है। तुर्की ने ये जानते हुए भी पाकिस्तान से इस डील को आगे बढ़ाया। हालांकि इस बीच में तुर्की ने अमेरिका में लाइसेंस हासिल करने की भी प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने उसको लाइसेंस देने से साफ इनकार कर दिया।
छह माह का समय और मांगा अमेरिका से मिली नाकामी के बाद अब तुर्की ने पाकिस्तान को छह माह का समय और दिया है। इस बीच तुर्की दोबारा लाइसेंस हासिल करने का प्रयास करेगा। आपको बता दें कि इस डील में एक प्वाइंट ये भी है कि यदि तुर्की किसी तरह से पाकिस्तान को हेलीकॉप्टर बेचने में नाकाम रहता है तो पाकिस्तान ये हेलीकॉप्टर चीन से हासिल कर सकता है। पाकिस्तान ने इसकी भी कोशिश की थी, लेकिन तुर्की ने उसको ऐसा करने से रोक दिया। इसकी वजह थी कि वो इतनी बड़ी डील को खोना नहीं चाहता है। यही वजह है कि वो बार-बार वक्त आगे बढ़ा रहा है।
भारत भी है वजह डिफेंस न्यूज ने अमेरिकी सांसदों के हवाले से कहा है कि उन्हें इस बात की चिंता है कि तुर्की से ये हेलीकॉप्टर मिल जाने से पाकिस्तान, भारत के खिलाफ अपनी ग्राउंड अटैक केपेबिलिटी को बढ़ा सकता है, जो अमेरिका और भारत के बीच रक्षा संबंधों के लिए सही नहीं होगी। यूं भी चीन इस डील से पहले अपने बनाए CAIC Z-10 हेलीकॉप्टर गनशिप को पाकिस्तान को ट्रायल के तौर दे चुका है। लेकिन पाकिस्तान इन हेलीकॉप्टर की परफोर्मेंस से खुश नहीं हुआ और उसने ये लौटा दिए थे। ।
पहले भी लिया था एक वर्ष का समय तुर्की के शीर्ष अधिकारी इस्माइल डेमिर ने यूएस डिफेंस पब्लिकेशन को बताया है कि उन्होंने इसके लिए पाकिस्तान से छह माह का और समय मांगा है। जनवरी 2020 में भी इसी तरह से हेलीकॉप्टर देने के लिए तुर्की ने एक वर्ष का समय पाकिस्तान से मांगा था। इस हेलीकॉप्टर को तुर्किश एयरोस्पेस इंडस्ट्री ने बनाया है। तुर्की ने अमेरिकी पाबंदियों के तहत टीएआई की संबंधित कंपनी तुसास इंजन इंडस्ट्री को एक T129.हेलीकॉप्टर के लिए इंडीजीनियस इंजन डिजाइन करने को कहा है।
ये भी है विवाद की जड़ डिफेंस न्यूज पब्लिकेशन के मुताबिक अमेरिका को तुर्की और रूस के बीच हुए एस-400 मिसाइल समझौते पर आपत्ति है, इस वजह से वो इस हेलीकॉप्टर डील पर अड़ंगा लगा रहा है। इस्माइल का कहन है कि ये तकनीकी और कमर्शियल मुद्दा नहीं है। ये पूरी तरह से राजनीतिक है। अमेरिका इस डील को नहीं होने देना चाहता है। इसलिए ये डील केवल दोनों के बीच उभरे मतभेदों की वजह से खटाई में पड़ गई है। आपको बता दें कि पाकिस्तान तुर्की के इन T192 हेलीकॉप्टर से अपने कोबरा गनशिप हेलीकॉप्टर फ्लीट को बदलना चाहता है जो उसने 1980 में हासिल किए थे।
एक हकीकत ये भी लेकिन, हकीकत ये है कि जब तक तुर्की की कंपनी अमेरिका से इंजन को एक्सपोर्ट करने का लाइसेंस हासिल नहीं कर लेती है, इस डील पर वो एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकती है। तुर्की द्वारा निर्मित T129 हेलीकॉप्टर करीब 5 टन वजनी है। इसमें दो इंजन लगे हैं और साथ ही ये एक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न परिस्थितियों में किया जा सकता है। तुर्की की कंपनी को इस हेलीकॉप्टर को बनाने के लिए इटली-ब्रिटिश कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से लाइसेंस हालिस है।
डाला जा रहा है दबाव इस हेलीकॉप्टर को और अधिक शक्तिशाली बनाते हैं इसमें LHTEC T800-4A टर्बोशाफ्ट इंजन। इंसन को अमेरिका की हनीवेल और ब्रिटिश कंपनी रॉल्स रॉयस ने बनाया है। खबर में कहा गया है कि अमेरिका को केवल हेलीकॉप्टर इंजन को एक्सपोर्ट करने पर ही आपत्ति नहीं है बल्कि उसको अपने यहां बनाए कलपुर्जों को एक्सपोर्ट किए जाने से भी नाराजगी है। इसमें कहा गया है कि अमेरिकी सांसदों ने तुर्की से रूस के साथ हुई मिसाइल डील को खत्म करने के लिए नाटो देशों का भी दबाव डाला जा रहा है।
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