आतंकी मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने दिया UN में प्रस्ताव
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत साथ खड़े अमेरिका फ्रांस और ब्रिटेन ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Fri, 01 Mar 2019 09:06 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र, रॉयटर्स। पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर नकेल कसने के लिए भारत की कूटनीति रंग ला रही है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव दिया है। बुधवार को दिए गए प्रस्ताव में इन देशों ने 15 सदस्यीय सुरक्षा प्रतिबंध समिति से अजहर की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध और संपत्तियों को जब्त करने की मांग की है।
13 मार्च तक आपत्ति दर्ज कराने का समय
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है। समिति के सामने दिए गए प्रस्ताव में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का मुखिया मसूद अजहर ने ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को किए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। चौथी बार पेश हुआ प्रस्ताव
पिछले 10 वर्षो में यूएन में यह चौथा मौका है जब इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले 2009 और 2016 में भारत ने यूएन के सेक्शन कमेटी 1267 में अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। यही आतंकी सरगना पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर जनवरी 2016 में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था। 2016 के प्रस्ताव में भारत के साथ पी3 देश थे।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है। समिति के सामने दिए गए प्रस्ताव में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने कहा है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का मुखिया मसूद अजहर ने ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को किए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। चौथी बार पेश हुआ प्रस्ताव
पिछले 10 वर्षो में यूएन में यह चौथा मौका है जब इस तरह का प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले 2009 और 2016 में भारत ने यूएन के सेक्शन कमेटी 1267 में अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। यही आतंकी सरगना पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर जनवरी 2016 में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड था। 2016 के प्रस्ताव में भारत के साथ पी3 देश थे।
उस समय अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साथ दिया था। 2017 में इन्हीं पी3 देशों ने यूएन में ऐसा ही प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन हमेशा की तरह चीन ने यूएन में प्रस्ताव मंजूर होने की राह में रोड़े अटका दिए थे। हालांकि चीन की तरफ से अभी तक अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के इस नए प्रस्ताव पर कोई बयान नहीं आया है।
फ्रांस ने दिये कड़ी कार्रवाई के संकेत
फ्रांस एक मार्च को औपचारिक तौर पर एक महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा। दरअसल, पंद्रह राष्ट्रों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह एक देश से दूसरे देश के हाथ में जाती है और एक मार्च को इसकी अध्यक्षता इक्वेटोरियल गुयाना से फ्रांस के पास चली जाएगी। फांस ने यह संकेत दिया है कि वह अपनी अध्यक्षता के दौरान मसूद अजहर के खिलाफ और कड़े कदम उठाएगा।
फ्रांस एक मार्च को औपचारिक तौर पर एक महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेगा। दरअसल, पंद्रह राष्ट्रों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह एक देश से दूसरे देश के हाथ में जाती है और एक मार्च को इसकी अध्यक्षता इक्वेटोरियल गुयाना से फ्रांस के पास चली जाएगी। फांस ने यह संकेत दिया है कि वह अपनी अध्यक्षता के दौरान मसूद अजहर के खिलाफ और कड़े कदम उठाएगा।
भारत के साथ खड़ा है फ्रांस
बता दें कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद फ्रांस ने पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा था कि उनका देश भारत के रुख को मान्यता देता है। फ्रांस ने कहा कि वह आतंकवाद के किसी भी स्वरूप के खिलाफ है और उसकी भर्त्सना करता है। एक अधिकारी ने कहा है कि फ्रांस आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है और इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वित्तीय नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लामबंद करने में पूरी तरह लगा हुआ है।
बता दें कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद फ्रांस ने पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा था कि उनका देश भारत के रुख को मान्यता देता है। फ्रांस ने कहा कि वह आतंकवाद के किसी भी स्वरूप के खिलाफ है और उसकी भर्त्सना करता है। एक अधिकारी ने कहा है कि फ्रांस आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है और इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वित्तीय नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लामबंद करने में पूरी तरह लगा हुआ है।