Israel: विवादास्पद कानून को US ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, राष्ट्रपति बाइडन बोले-लोकतंत्र में आम सहमति होना जरूरी
इजरायल की संसद में सोमवार को विवादास्पद न्यायिक सुधार बिल को कानून का रूप दे दिया गया। इस विधेयक को पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के सत्तारूढ़ कट्टर दक्षिणपंथी गठबंधन के सभी 64 सांसदों ने मंजूरी दी है। दूसरी ओर विपक्षी सांसदों ने इसका बहिष्कार किया है। वहीं इस बिल के पास होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Tue, 25 Jul 2023 04:14 AM (IST)
वाशिंगटन, एजेंसियां। इजरायल की संसद में सोमवार को विवादास्पद न्यायिक सुधार बिल को कानून का रूप दे दिया गया। इस विधेयक को पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के सत्तारूढ़ कट्टर दक्षिणपंथी गठबंधन के सभी 64 सांसदों ने मंजूरी दी है। दूसरी ओर विपक्षी सांसदों ने इसका बहिष्कार किया है। वहीं, इस बिल के पास होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने न्यायिक सुधार को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
इस मामले पर व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि इजरायली संसद के वोट से सुप्रीम कोर्ट की कुछ शक्तियां छीनना दुर्भाग्यपूर्ण है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने एक बयान जारी किया। बयान के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि लोकतंत्र में बड़े बदलावों को स्थायी बनाने के लिए यथासंभव व्यापक सहमति होनी चाहिए।
As a lifelong friend of Israel, President Biden has publicly and privately expressed his views that major changes in a democracy to be enduring must have as broad a consensus as possible. It is unfortunate that the vote today took place with the slimmest possible majority. We… pic.twitter.com/yto252rBVD
— ANI (@ANI) July 24, 2023
राष्ट्रपति हर्जोग के प्रयासों का अमेरिका करेगा समर्थन
चिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका इजरायल के राष्ट्रपति हर्जोग और अन्य इजरायली नेताओं के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा क्योंकि वे राजनीतिक बातचीत के माध्यम से व्यापक सहमति बनाना चाहते हैं।क्या है विवादास्पद कानून?
मालूम हो कि इस विवादास्पद कानून के खिलाफ इजराइल में साल की शुरुआत यानी पिछले सात महीने से ही विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों का दावा है कि यह कानून इजरायल में न्यायपालिका के अधिकार को सीमित कर देगा और सारी शक्तियां सरकार के पास आ जाएंगी। प्रस्तावों में एक विधेयक शामिल है जो संसद में साधारण बहुमत से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने की अनुमति देगा, जबकि दूसरा संसद को जजों की नियुक्ति में आखिरी अधिकार देगा।