ताइवान समेत अन्य मुद्दों पर चीन के रवैये से चिंता में है अमेरिका, इंडो-पेसेफिक को फ्री फार आल चाहता है US
चीन को लेकर अमेरिका काफी गंभीर है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन का कहना है कि अमेरिका इंडो पेसेफिक को सभी की आवाजाही को सुनिश्चित करना चाहता है। उन्होंने ये भी कहा कि ताइवान स्ट्रेट में चीन की दखल एक गंभीर विषय हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 02 Oct 2022 10:55 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। चीन के एशियाई इलाकों में बढ़ती दखलंदाजी को लेकर अमेरिका काफी गंभीर है। अमेरिका ने चीन की आक्रामकता और उसकी विस्तारवादी नीतियों के प्रति चिंता व्यक्त की है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा है कि ताइवान स्ट्रेट समेत दूसरे इलाकों में चीन की मिलिट्री एक्टिविटी चिंता का विषय है। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका इंडो पेसिफिक क्षेत्र में सभी की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चिम करना चाहता है।
बयान काफी खास
अमेरिका का ये बयान इसलिए काफी खास हो गया है क्योंकि कुछ समय पहले ही चीन और अमेरिकी विदेश मंत्री ने न्यूयार्क में एक बैठक की थी। यूएनजीए से इतर इस बैठक में वांग यी और एंटनी ब्लिंकन बातचीत को जारी रखने के लिए तैयार हुए थे। हालांकि इस बैठक में दोनों के बीच तनाव भी साफतौर पर दिखाई दिया था।
ताइवान पर चीन का कड़ा रुख बरकरार
इस बैठक में ताइवान केंद्र बिंदु था। बैठक के बाद चीन का पुराना रवैया ही बरकरार रहा था। चीन ने ताइवान के मुद्दे पर हथियार डाल देने से साफ इनकार किया है। चीन का कहना है कि ताइवान शुरआत से ही चीन का अविभाजित अंग रहा है। यूएनजीए में भी वांग यी ने साफ कर दिया था कि ताइवान के मुद्दे पर वो किसी भी तीसरे पक्ष की दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा। आपको बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच बीते काफी समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। चीन और अमेरिका दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए हैं।
अमेरिका-चीन के बीच तनाव
ताइवान के मुद्दे पर तो दोनों के बीच स्थिति इस कदर खराब है कि अमेरिका ने साफ कर दिया है कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है तो इसका जवाब अमेरिका भी देगा। अमेरिका की तरफ से आए इस बयान ने स्थिति को काफी तनावपूर्ण कर दिया है। इसके अलावा शिनजियांग के उइगरों का मसला, वन चाइना पालिसी और व्यापारिक मुद्दों पर भी दोनों के बीच हालात काफी खराब है। सोलोमन द्वीप को लेकर भी अब चीन और अमेरिका आमने सामने आ चुके हैं। यहां की सरकार से चीन का करार हुआ है। माना जा रहा है कि चीन इस द्वीप पर अपना नेवल बेस बनाना चाहता है।
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