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तालिबान शासन के दौरान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका ने जताई चिंतित

तालिबान शासन के दौरान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका चिंतित। चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने कहा कि परमाणु हथियारों से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। अमेरिका ने 31 अगस्त को अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पूरी की।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Thu, 30 Sep 2021 09:44 AM (IST)
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संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले।(फोटो: रायटर्स)
वाशिंगटन, एएनआइ। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अमेरिका, भारत, ब्रिटेन समेत कई देश अपने देश की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इस बीच, अमेरिका ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और उनके शासन के दौरान पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर गहरी चिंता जताई है। पाकिस्तानी अखबार डान की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के शीर्ष जनरलों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान से जल्दबाजी में हटने से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सामने संयुक्त चीफ आफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने कहा कि हमने अनुमान लगाया कि त्वरित वापसी से क्षेत्रीय अस्थिरता, पाकिस्तान की सुरक्षा और उसके परमाणु हथियारों के जोखिम बढ़ जाएंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि तालिबान ने 20 साल तक अमेरिकी सैन्य दबाव को कैसे झेला, इसकी जांच की जरूरत पर जोर देते हुए जनरल ने कहा कि हमें पाकिस्तान पनाहगाह की भूमिका की पूरी तरह से जांच करने की जरूरत है।

पिछले साल तालिबान के साथ हुए दोहा समझौते के तहत अमेरिका ने 31 अगस्त को अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी पूरी की।

जनरल मार्क मिले और यूएस सेंट्रल कमांड के नेता जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने भी चेतावनी दी है कि तालिबान, जिससे अब पाकिस्तान को निपटना होगा, वह पहले से निपटने वाले तालिबान से अलग होगा और इससे उनके संबंध जटिल होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंटकॉम प्रमुख ने यह भी कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण हवाई गलियारे के इस्तेमाल पर चल रही बातचीत में शामिल हैं।