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Fitch Ratings: फिच ने घटाई अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग, पढ़ें अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ेगा इसका असर?

Fitch Ratings अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को गिरा दिया है। फिच ने अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को एएए से घटाकर एए+ कर दिया है जो अमेरिका के लिए चिंताजनक है। इसे देखकर राष्ट्रपति बाइडन को झटका लगा है क्योंकि इसका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। विश्लेषक इस बात से सहमत हैं कि रेटिंग गिरने से कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 02 Aug 2023 11:44 PM (IST)
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Fitch Ratings: फिच ने घटाई अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग।
वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को गिरा दिया है। फिच ने अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को एएए से घटाकर एए+ कर दिया है, जो अमेरिका के लिए चिंताजनक है। इसे देखकर राष्ट्रपति बाइडन को झटका लगा है क्योंकि इसका प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

एएए क्रेडिट रेटिंग क्या है?

एएए या ट्रिपल-ए रेटिंग वह उच्चतम रेटिंग है, जो कोई एजेंसी किसी देश या संस्था को उसकी ऋण चुकाने की क्षमता के आधार रेटिंग पर देती है। इस रेटिंग से परोक्ष रूप से पता चलता है कि देश या कंपनी की आर्थिक स्थिति कैसी है।

किस आधार पर तय होती है रेटिंग?

रेटिंग का उद्देश्य उधारकर्ता के आर्थिक या वित्तीय स्थिति को दिखाना होता है। जब किसी देश के लिए रेटिंग तय होती है, तो एजेंसियां उनकी रेटिंग निर्धारित करने के लिए आर्थिक विकास, कर राजस्व, सरकारी खर्च, घाटे और ऋण स्तर को देखती हैं। जब निवेशक किसी देश या कंपनी में निवेश करता है, तो इस रेटिंग विश्लेषण करते हैं।

किन देशों के पास है ट्रिपल-ए रेटिंग?

जिन देशों के पास ट्रिपल ए रेटिंग है, ऐसा माना जाता है कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है। इस वक्त ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड को विश्व की तीन प्रमुख रेटिंग एजेंसियों से ट्रिपल-ए रेटिंग प्राप्त है।

अमेरिक की क्या है स्थिति?

अमेरिका के पास अभी मूडीज से ट्रिपल-ए रेटिंग है। एसएंडपी ने 2011 में अमेरिका से उसका एएए छीन लिया था। इसके बाद फिच ने भी अब अमेरिका से ट्रिपल ए की रेटिंग हटा लिया है।

रेटिंग गिरने का अमेरिका पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

विश्लेषक इस बात से सहमत हैं कि अमेरिका की रेटिंग गिरने से कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। बताया जा रहा है कि हालिया अमेरिकी डाउनग्रेड से ट्रेजरी में बड़ी बिकवाली होने की संभावना नहीं है या निवेशक के व्यवहार में बड़ा बदलाव नहीं आएगा।

बता दें कि निवेशकों ने 2011 में एसएंडपी से इसी तरह की गिरावट देखा था और फिर भी बिना किसी नुकसान के निवेश जारी रखा। कैपिटल इकोनॉमिक्स के विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी बांड बाजारों पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा।