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अमेरिका का पाक को F-16 के पैकेज देने का फैसला मूर्खतापूर्ण, खुद उसकी सुरक्षा के लिए हो सकता है घातक: रिपोर्ट

अमेरिकी वेबसाइट वाशिंगटन एग्जामिनर के लेखक माइकल रुबिन ने कहा है कि विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने दो सप्ताह पहले तर्क दिया था कि इससे पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ संघर्ष में मदद मिलेगी लेकिन इस दावे को न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Wed, 12 Oct 2022 11:39 PM (IST)
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बाइडन का पाकिस्तान को एफ-16 विमान बेचने का फैसला फैसला मूर्खतापूर्ण
 वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का पाकिस्तान को एफ-16 विमान बेचने का फैसला फैसला मूर्खतापूर्ण है। अमेरिकी वेबसाइट वाशिंगटन एग्जामिनर के लेखक माइकल रुबिन ने कहा है कि विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने दो सप्ताह पहले तर्क दिया था कि इससे पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ संघर्ष में मदद मिलेगी, लेकिन इस दावे को न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। लेखक के अनुसार, ज्यादा संभावना है कि पाकिस्तान अपनी वायुसेना का बलूचिस्तान में अपने ही लोगों के विरुद्ध इस्तेमाल करेगा। बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार के कुप्रबंधन के कारण आंदोलन खड़ा हो गया है। पाकिस्तान जिन हथियारों का अपनी जनता के विरुद्ध प्रयोग करेगा उसे उपलब्ध कराने का बाइडन का निर्णयनैतिक रूप से अटपटा और जोखिम भरा है।

इससे पहले सितंबर महीने में अमेरिकी विदेश विभाग ने 450 मिलियन अमरीकी डालर की लागत से पाकिस्तान वायु सेना के लड़ाकू जहाज F-16 के बेड़े और उपकरणों के रखाव के लिए पाकिस्तान सरकार को एक विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) को मंजूरी दी है।

आतंकियों को पनाह देने से बाज नहीं आएगा पाकिस्‍तान

वाशिंगटन एक्जामिनर ने बताया कि ब्लिंकन के औचित्य के साथ दूसरी समस्या यह थी कि ब्‍लूचिस्‍तान और सिंध में आतंकवाद के खिलाफ अपने युद्ध में पाकिस्तानी सेना को हजारों हताहतों का सामना करना पड़ा है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस एजेंसी अलकायदा और जैश-ए- मोहम्‍मद जैसे आतंकवादी समूहों को वित्त, लैस और प्रोत्साहित करना जारी रखती है। लेखक लिखते हैं कि जब तक पाकिस्‍तान आईएसआई नेताओं को देशद्रोह के आरोप में रोकने का फैसला नहीं लेता है, तब तक अमेरिका को पाकिस्तान की पीड़ित कथा को नजरअंदाज करना चाहिए।

F -16 की तकनीकी को चीन को कर सकता है ट्रांसफर

वाशिंगटन एक्जामिनर के अनुसार, अमेरिका ने एक बड़ी समस्या को नजरअंदाज कर दिया और वह यह है कि पाकिस्तान एफ -16 के साथ चीन की वायुसेना के साथ अभ्यास कर सकता है, जो चीनी पायलटों की एक नई पीढ़ी को अमेरिकी विमानों के खिलाफ अभ्यास करने और नए अपग्रेड के लिए अपनी रणनीति को समायोजित करने की अनुमति देगा। यह अभ्यास अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगा। विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन ने बार-बार संयुक्त रूप से वायुसेना अभ्‍यास आयोजित किए हैं। इनमें से चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित एक युद्धक विमान JF-17 थंडर और चीनी निर्मित चेंगदू F-7 इंटरसेप्टर शामिल हैं।

पाकिस्‍तान के वादे को कोई भरोसा नहीं

दिसंबर 2020 के युद्धाभ्‍यास में ट्रंप प्रशासन के डर से पाकिस्तान ने अपने लगभग 75 F-16 में से कोई भी नहीं उड़ाया। खराब समय में भी पाकिस्तानी नेताओं का जो बाइडन का डर नहीं है। इसके साथ ही सबसे अच्छे समय में पाकिस्तानी वादे क्षणभंगुर साबित होते हैं। वाशिंगटन एक्जामिनर की रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन में पाकिस्‍तान की पूर्व में की गई आतंकी संगठन अल कायदा को पनाह न देने या तालिबान को हथियार न देने और फंड न देने की प्रतिज्ञा को कभी नहीं भूलना चाहिए। पाकिस्‍तान ने तमाम दावों को धता बता कर आतंकी संगठनों को हर तरीके से मदद की।

पाक को हथियारों की बिक्री पर दरवाजा बंद करे अमेरिकी कांग्रेस

इससे पहले, यह भी देखा गया था कि पाकिस्तान ने बार-बार चीन को अमेरिकी तकनीक का उपयोग करने की अनुमति दी है, ताकि चीनी कंपनियां इसे रिवर्स इंजीनियरिंग कर सकें। उदाहरण के लिए, अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए आपरेशन के बाद उपकरण खराब होने के मामले में यह मामला था। बाइडन और ब्लिंकन बार-बार ऐसी नीतियों का अनुसरण करते हैं जो कूटनीतिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को कमतर करती है। लेखक के अनुसार, अमेरिकी कांग्रेस को पाकिस्तान को हथियारों की बिक्री पर दरवाजा बंद करना चाहिए।

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