पहले हार्ट अटैक को रोकने के लिए एस्पिरिन के उपयोग से लाभ कम नुकसान ज्यादा
डाक्टरों को पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक के उच्च जोखिम वाले लोगों को नियमित रूप से एस्पिरिन की हल्की डोज लेने का सुझाव नहीं देना चाहिए। अमेरिकी पैनल 2016 में की गई अपनी उस सिफारिश को भी वापस लेने की योजना बना रहा है
By Monika MinalEdited By: Updated: Wed, 13 Oct 2021 03:39 AM (IST)
न्यूयार्क [न्यूयार्क टाइम्स ]। पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक को रोकने या उसके खतरे को कम करने के लिए आम तौर पर डाक्टरों द्वारा एस्पिरिन की हल्की डोज लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन अमेरिकी विशेषज्ञों के एक पैनल के मुताबिक हाल में ऐसे कई सुबूत मिले हैं जिससे पता चलता है कि एस्पिरिन से लाभ कम नुकसान ज्यादा है। एस्पिरिन को कभी दिल की बीमारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे सस्ता हथियार माना जाता था।
पैनल ने इसको लेकर मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इसमें कहा गया है कि डाक्टरों को पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक के उच्च जोखिम वाले लोगों को नियमित रूप से एस्पिरिन की हल्की डोज लेने का सुझाव नहीं देना चाहिए। अमेरिकी पैनल 2016 में की गई अपनी उस सिफारिश को भी वापस लेने की योजना बना रहा है, जिसमें कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम के लिए एस्पिरिन की हल्दी डोज लेने का सुझाव दिया गया है। उस समय इसे उल्लेखनीय दिशानिर्देश करार दिया गया था। पैनल का कहना है कि नवीनतम आंकड़ों से कैंसर के उपचार में इसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठे हैं, इसलिए इसको लेकर और अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।
आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में अनियमित दिनचर्या, खान-पान समेत बदली जीवनशैली से 30 साल से अधिक आयु के युवाओं में भी हृदय रोग का जोखिम बढ़ गया है। बता दें कि पिछले करीब पांच वर्ष में हृदय रोग से पीड़ितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इनमें ज्यादातर 30 से 50 वर्ष उम्र वर्ग के पुरुष-महिलाएं हैं।
करें ये परहेज- सभी को हाई ब्लडप्रेशर को गंभीरता से लेना चाहिए। हृदय रोग से पीड़ित हैं तो डाक्टर के पास जाएं। उसे अपनी समस्या बेझिझक बताएं और जरूरी जांच अवश्य कराएं। खानपान के लिए डायटीशियन से लिस्ट बनवा कर उसका पालन करें।
हृदय रोग के लक्षण- विशेष परिस्थितियों को छोड़ कर हृदय रोग के लक्षणों में सीने में दर्द, जलन, जल्दी सांस फूलना, आंखों के सामने अंधेरा छाना आदि। वास्तव में यह बीमारी दबे पांव जरूरआती है लेकिन हृदयाघात अचानक हो जाता है। इसलिए लक्षण को पहचानें और तत्काल सरकारी या निजी अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट से संपर्क करें।