अमेरिकी मंत्री का सीनेट समिति के समक्ष बयान, कहा- चीनी उकसावे पर भारत की रक्षा क्षमता बढ़ाने को बाइडन प्रशासन प्रतिबद्ध
यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ एकजुट होने की कोशिशों पर जो बाइडन प्रशासन ने भारत को इसमें शामिल करने की कोशिश की है। साथ ही कहा है कि चीन हर मोड़ पर भारत को भड़का रहा है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 03 Mar 2022 06:41 PM (IST)
वाशिंगटन, प्रेट्र: यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ एकजुट होने की कोशिशों पर जो बाइडन प्रशासन ने भारत को इसमें शामिल करने की कोशिश की है। साथ ही कहा है कि चीन हर मोड़ पर भारत को भड़का रहा है। इसलिए अमेरिका भारत को रक्षा उपकरणों से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा अमेरिका के एक मंत्री का कहना है कि भारत ने कश्मीर में स्थिति सामान्य करने की दिशा में काम किया है। कश्मीर के सुरक्षा हालात पर उनकी नजर है।
अमेरिकी विदेश विभाग के सहायक मंत्री (दक्षिण व मध्य एशिया) डोनाल्ड लू ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति को बताया कि चीन अरसे से भारत को हर मोड़ पर भड़का रहा है। चीन के इस उकसावे के खिलाफ भारत की रक्षा क्षेत्र में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और उसकी प्रगति से उसे सशक्त बनाने के लिए बाइडन प्रशासन कटिबद्ध है। चीन बार-बार अमेरिका को भड़काता रहता है और वह यही भारत के साथ भी कर रहा है।
भारतीय सीमा पर बीस भारतीय जवानों की शहादत के बाद भारत ने बीजिंग विंटर ओलंपिक का कूटनीतिक बायकाट किया है। चीन ने हाल में एक नया नक्शा जारी किया है जिसमें उसने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से को अपने देश में दिखाया है। सीमा पर भी पूर्वी लद्दाख और पेंगपांग झील में भी चीनी सैनिक सीमा लांघते रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ अमेरिकी रक्षा सौदे बढ़कर 20 अरब डालर के हो गए हैं। पिछले एक दशक में अधिकांश हथियार भारत ने अमेरिका और यूरोप से ही खरीदे हैं।
रूस की आलोचना को करेंगे राजीउन्होंने कहा कि अमेरिका यूक्रेन पर रूसी हमले के मामले में अन्य सभी देशों के साथ भारत को रूस की आलोचना करने को राजी करने के लिए प्रयासरत है। भारत सरकार का तर्क यह है कि वह कूटनीतिक समाधान की गुंजाइश बनाए रखना चाहते हैं। साथ ही उनका लक्ष्य युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे अपने 18 हजार भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालना है। उन्होंने भारत-अमेरिका संबंध पर कहा कि एशिया में सुरक्षा को लेकर भारत हमारा एक रणनीतिक साझीदार है। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसका सही दिशा में होना जरूरी है।
कश्मीर में मानवाधिकार की चुनौतियांलू ने समिति से कहा कि कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से भारत सरकार ने वहां हालात सामान्य करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पिछले दो सालों में वहां सीमा पार से जारी आतंकवाद में भी कमी आई है। वहां मोबाइल नेटवर्क भी बहाल कर दिए गए हैं। हालांकि अभी भी मानवाधिकार की स्थिति को लेकर कई चुनौतियां हैं। वहां हमने पत्रकारों को कहीं भी बेखटके आते-जाते नहीं देखा है। बल्कि कश्मीर में कुछ पत्रकारों को बंदी बनाया गया है।