कहीं अमेरिका से वार्ता के साथ परमाणु बम बनाने की तो तैयारी नहीं कर रहा उत्तर कोरिया!
उत्तर कोरिया की न्यूक्लियर साइट पर हुई हलचल से अमेरिका का परेशान होना स्वाभाविक है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों प्रमुख तीसरी वार्ता का इशारा कर चुके हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 17 Apr 2019 11:40 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तर कोरिया की प्रमुख न्यूक्लियर साइट पर हो रही हलचल ने एक बार फिर से अमेरिका को चौकन्ना कर दिया है। अमेरिका को शक है कि उत्तर कोरिया परमाणु बम बनाने के लिए किसी रेडियोएक्टिव मेटेरियल को रिप्रोसेस करने में लगा है। यह सबकुछ हनाई में किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप की वार्ता के विफलता के बाद हुआ है। यह वार्ता फरवरी में हुई थी।
आपको बता दें कि किम और ट्रंप तीसरी मुलाकात की मंशा जता चुके हैं। लेकिन इससे पहले ही इस उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के बारे में सामने आई जानकारी इसकी सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए काफी है। किम ने पिछले दिनों कहा था कि वह केवल तभी तक बातचीत को तैयार है जब तक ट्रंप इसके प्रति उचित रवैया दिखाते हैं। अन्यथा उत्तर कोरिया के पास सभी विकल्प पूरी तरह से खुले हैं।सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की तरफ से कहा गया है कि उपग्रह से जो चित्र मिले हैं उनके मुताबिक योंगब्योन न्यूक्लियर साइट पर यूरेनियम इनरिच फेसेलिटी और रेडियोकेमेस्ट्री लैब के निकट 12 अप्रैल को पांच रेलकार दिखाई दी हैं। इस तरह की रेल कार का इस्तेमाल रेडियोएक्टिव मैटेरियल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए होता है। लिहाजा तीसरी वार्ता से पहले यह अच्छी खबर नहीं है।
आपको बता दें कि अभी तक की दो शिखर वार्ताओं में दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हाथ मिलाने से ज्यादा कुछ नहीं मिला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले वर्ष सिंगापुर वार्ता में भी दोनों नेताओं के बीच कुछ सहमति तो जरूर बनी थी, लेकिन समझौते पर आकर बात अटक गई थी। हनोई में तो किम ने साफ तौर पर मेज पर कुछ शर्तों के साथ अपनी बात शुरू की थी। उनकी पहली शर्त उत्तर कोरिया से सभी प्रतिबंध हटाने को लेकर थी, जिसपर ट्रंप पूरी तरह से असहमत थे और वार्ता अधूरी छोड़कर चले गए थे। उन्होंने उस वक्त कहा था कि इस शर्त के साथ वार्ता को आगे बढ़ाना बेमानी था, लिहाजा उन्होंने वहां से चले जाना बेहतर समझा।
इतना ही नहीं, यदि दोनों शिखर वार्ताओं पर गौर करें तो उस दौरान अमेरिकी सैटेलाइट से मिली तस्वीरों ने भी वार्ताओं को विफल बनाने का काम किया है। दरअसल, सिंगापुर हो या हनोई दोनों ही वार्ता के आसपास अमेरिकी खुफिया विभाग सैटेलाइट इमेज के जरिए यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि किम वार्ता के साथ-साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को भी आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका ने सैटेलाइट इमेज के जरिए चीन से लगती सीमा पर दो इमारतों को भी संदिग्ध बताते हुए वार्ता की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया था। वहीं, हनोई वार्ता के बाद अमेरिका ने भी उत्तर कोरिया पर ताजे प्रतिबंध लगाए थे। इसके अलावा इसकी जद में कहीं न कहीं चीन भी आ गया था। वहीं अब जबकि दोनों नेता तीसरी वार्ता की बात कह रहे हैं तो सामने आई उपग्रह की तस्वीरें शांति की राह में रुकावट बन सकती हैं।