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अत्याधुनिक हथियार तालिबान को मिलने पर अमेरिकी सांसदों ने जताई चिंता, रक्षा मंत्री को लिखा पत्र

तालिबान ने अफगानिस्तान के शहरों पर तेजी से कब्जा करते हुए बीते रविवार को राजधानी काबुल पर भी कब्जा कर लिया था। प्रमुख शहरों पर कब्जा करने के दौरान तमाम अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार लड़ाकू विमान अटैक हेलीकाप्टर ड्रोन और अन्य सैन्य साजो-सामान तालिबान के हाथ लगा।

By Neel RajputEdited By: Updated: Fri, 20 Aug 2021 08:06 PM (IST)
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रिपब्लिकन सीनेटर ने सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की (फोटो : एएनआइ)
वाशिंगटन, प्रेट्र। अफगानिस्तान में तालिबान के हाथ गए अरबों डालर के अत्याधुनिक अमेरिकी हथियारों के मसले पर बाइडन प्रशासन घिर गया है। दो दर्जन से ज्यादा विपक्षी रिपब्लिकन सांसदों ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग सरकार से की है। कहा है कि इन अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल के लिए तालिबान रूस, चीन, ईरान और पाकिस्तान की मदद ले सकता है। इससे अमेरिकी तकनीक की गोपनीयता खत्म होगी। साथ ही सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ेंगी।

रक्षा मंत्री लायड आस्टिन को लिखे पत्र में सीनेटर बिल कैसिडी, मार्को रूबियो, टेड क्रूज और 22 अन्य रिपब्लिकन सीनेटरों ने अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार तालिबान के हाथों में जाने पर गंभीर चिंता जताई है। इनमें से कुछ हथियार तो अमेरिका ने अफगान सेना को दिए थे लेकिन बड़ी मात्रा में वे हथियार भी हैं जिन्हें अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में छोड़कर वहां से लौटे थे। विपक्षी सांसदों ने इसे बाइडन प्रशासन की लापरवाही भरी सैन्य वापसी का नतीजा बताया है। कहा है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए क्योंकि ये हथियार अमेरिकी जनता के चुकाए टैक्स से खरीदे गए थे।

तालिबान ने अफगानिस्तान के शहरों पर तेजी से कब्जा करते हुए बीते रविवार को राजधानी काबुल पर भी कब्जा कर लिया था। प्रमुख शहरों पर कब्जा करने के दौरान तमाम अत्याधुनिक अमेरिकी हथियार, लड़ाकू विमान, अटैक हेलीकाप्टर, ड्रोन और अन्य सैन्य साजो-सामान तालिबान के हाथ लगा। तालिबान के हाथ लगे यूएच-60 ब्लैक हाक अटैक हेलीकाप्टर और ए-29 सुपर टुकानो अटैक एयरक्राफ्ट को लेकर रिपब्लिकन सांसदों ने खासतौर पर चिंता जताई है। कई तालिबान लड़ाके अमेरिकी एम 4 कारबाइन और एम 16 राइफल लिए दिखाई दिए हैं। साथ ही तालिबान अब बख्तरबंद हम्वी और बारूदी सुरंगरोधी वाहनों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

रायटर के अनुसार अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर हो रही आलोचना से बाइडन प्रशासन ज्यादा परेशान नहीं है। उसका मानना है कि कुछ समय बाद अमेरिकी लोग सब भूल जाएंगे। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक लंबे विचार-विमर्श के बाद बुलाए गए हैं। इस फैसले में अमेरिका के हित निहित हैं।

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