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जानें- इराक पर US एयर स्‍ट्राइक के अनछुए पहलू, अमेरिका-इराक के संबंधों में शिया फैैक्‍टर

US एयर स्‍ट्राइक के कई निहितार्थ हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका की सियासत पर और खासकर राष्‍ट्रपति चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 09:06 AM (IST)
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जानें- इराक पर US एयर स्‍ट्राइक के अनछुए पहलू, अमेरिका-इराक के संबंधों में शिया फैैक्‍टर
नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। USA Airstrike at Baghdad इराक की राजधानी बगदाद पर अमेरिकी की एयर स्‍ट्राइक के कई निहितार्थ हैं। इराक में एयर स्‍ट्राइक्‍ के जरिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने एक ही तीर से कई निशाने साधने में सफल हुए हैं। इस एयर स्‍ट्राइक के जरिए जहां ट्रंप आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी दृष्टिकोण को बताने में सफल हुए हैं, वहीं दूसरी और 2020 की अमेरिका में होने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव में भी इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है। इससे ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को भारी बढ़त मिल सकती है। इसके साथ इस हमले में अमेरिका का असल निशान क्‍या था ? कौन हैं कताइब हिज्‍बुल्‍लाह ? अमेरिका से क्‍या है बड़ा विरोध। इसके साथ यह भी जानेंगे की इराक और अमेरिका के संबंधों वो तीसरा मुल्‍का कौन है जो बन रहा है रोड़ा। 

अमेरिका की एयर स्‍ट्राइक 

बता दें कि इराक की राजधानी बगदाद में स्थिति अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के बाद अमेरिका ने बहुत सख्‍त कार्रवाई की है। अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्‍ट्राइक की जिसमें ईरान समर्थित कुर्द बल के प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। रिपोर्टों में कहा गया है कि सुलेमानी का काफिला बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था तभी एक रॉकेट हमले की जद में आ गया। हमले में ईरान समर्थित मिलिशिया पॉपुलर मोबलाइजेशन फोर्स (Popular Mobilization Forces or PMF) के डिप्टी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस  (Abu Mahdi al-Muhandis) की भी मौत हो गई।

 

अमेरिका की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ेगा असर

अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक का असर अमेरिका की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ना तय है। खासकर तब जब अमेरिका में इस वर्ष राष्‍ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका की सियासत पर और खासकर राष्‍ट्रपति चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। यही वजह है कि व्‍याहट हाउस ने यह ऐलान किया है कि ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने इराक में एयर स्‍ट्राइक को अंजाम दिया है। यानी इसका श्रेय राष्‍ट्रपति ट्रंप खुद लेना चाहते हैं। ट्रंप के इस कदम से रिपब्लिकन पार्टी को चुनाव में बढ़त मिल सकती है। हालांकि, इभी इस मामले में डेमोक्रट्स की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। 

2009 में अमेरिका ने हिज्‍बुल्‍लाह को आतंकवादी संगठन घोषित किया

दरअसल, कताइब हिज्‍बुल्‍लाह का अमेरिका के प्रति नकारात्‍मक दृष्टिकोण है। इराक में यह संगठन अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों को निशाना बनाता रहा है। इसके चलते यह सीधे अमेरिका के सैन्‍य निशाने पर है। वर्ष 2009 में अमेरिका ने कताइब हिज्‍बुल्‍लाह को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। इसके साथ ही अमेरिका ने अबु महदी और अल अल मुहांदिस को वैश्विक आंतकवादी घोषित किया। अमेरिका की मान्‍यता है यह संगठन इराक की स्थिरता और शांति के लिए खतरा है। इराक में अमेरिका के नेतृत्‍व में सहयोगी सुरक्षा बल अब भी इस्‍लामिक स्‍टेट के खिलाफ जंग में लगे हुए हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि कताइब हिज्‍बुल्‍लाह का संबंध ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशन गार्ड कोर यानी क़ुद्स फ़ोर्स से है। इसे ईरान से कई तरह की मदद मिलती है।

अमेरिका और इराक के संबंध शिया फैैक्‍टर 

अमेरिका और इराक के संबंध काफी जटिल और नाजुक मोड़ पर है। दोनों देशों के रिश्‍तों के बीच ईरान एक बड़ा फैक्‍टर है। दरअसल,इराक के शिया चरमपंथी समूहों से ईरान के बेहतर संबंध है। इसके चलते इराक में एक बड़ा समुदाय अमेरिका का घोर विरोधी है। ऐसे में सवाल उठता है कि दोनों देशों के बीच रिश्‍ते कितने टिकाऊ  है। इराक में अमेरिकी सेना की मौजूदगी इराकी बलों को ट्रेनिंग देने पर टिकी है। लेकिन इराक की शिया सरकार ईरान के बेहद करीब है। इसके अलावा इराक में इस्‍लामिक स्‍टेट के खिलाफ अमेरिकी मिशन काफी धुंधला हो चुका है। अमेरिका का यह अभ्ज्ञियान पर टिका है कि इसे लेकर इराक सरकार का क्‍या रूख होता है।

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