US: अक्षरधाम में राम मूर्ति हुई प्रतिष्ठित, गोविंद देव महाराज का 'हर संप्रदाय से प्रेरणा लेने का आह्वान'
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। गर्भगृह का निर्माण भी शुरू हो गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने बताया कि उत्तम विचार सारी दिशाओं से हमारे पास आए हम भगवान श्री राम का जो मंदिर बनाना चाहते है वो सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते है। बता दें रामलला की स्थापना जनवरी 2024 तक संभावित है।
By Shashank MishraEdited By: Shashank MishraUpdated: Thu, 05 Oct 2023 07:19 PM (IST)
ऑनलाइन डेस्क, न्यू जर्सी। रॉबिन्सविले अक्षरधाम में प्रभु श्री राम की मूर्ति प्रतिष्ठा स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने की। इस दौरान श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने बताया कि उत्तम विचार सारी दिशाओं से हमारे पास आए, हम भगवान श्री राम को जो मंदिर बनाना चाहते है वो सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहते हैं। मंदिर को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए जहां-जहां से प्रेरणा और जहां-जहां से अनुकरणीय दृष्टि प्राप्त कर सकते है, हम वहां से प्राप्त करना चाहते है।
अक्षरधाम आकर मिली प्रेरणा
स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज यहां आकर कर हमने देखा कि भगवान राम का मंदिर सर्वोपरि हैं। लेकिन मंदिर के सौन्दर्य के लिए और उसके निर्माण के लिए पूरी तरह से जुट कर काम करें ताकि मंदिर को सबसे सुंदर बना सके। और ऐसा करने की प्रेरणा हमें यहां आकर मिलती है।स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने कहा कि आयोध्या में जो प्रतिष्ठा का कार्य होने जा रहा है वो यहां से भी भव्य होगा क्योंकि यहां की प्रतिष्ठा की भव्यता मैंने देखी, यहां भगवान राम की प्रतिष्ठा मेरे हाथों हुई तो मुझे ऐसा लगा कि यहां की प्रतिष्ठा की भव्यता मैं अपने अंतःकरण में रख जाऊं, ताकि इतना भव्य नहीं; बल्कि इससे भी अधिक भव्य कार्य हम आयोध्या में कर के दिखा सके।
स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म और भारतवर्ष की संस्कृति इन दोनों का अगर किसी को सही से आकलन करना हो और कम परिश्रम में करना हो तो मैं यही कहूंगा कि यहां पर आकर बैठे इस मंदिर के एक-एक खम्भे और दीवारों का अध्ययन वो करें। मंदिर का अवलोकन करें तो उसे सनातन और सम्पूर्ण भारतवर्ष के गौरव के बारे में अपने आप पता चला जायेगा।
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स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने कहा कि यह स्वामी नारायण संप्रदाय का मंदिर होने पर भी स्वामी नारायण संप्रदाय ने अपने को वैदिक सनातन धर्म का एक अंग माना हुआ है और उन्होंने बड़े आदर के साथ सम्पूर्ण सनातन धर्म को यहां पर प्रदर्शित किया है जिसके कारण मैं उन सभी का अभिवादन करता हूं। स्वामी नारायण संप्रदाय से प्रेरणा लेकर ये कहता हूं कि सभी संप्रदायों को मिलकर काम करना चाहिए।ये भी पढ़ें: Gujarat में अंबामाता मंदिर के प्रसाद में मिलावटी घी के उपयोग पर बवाल, खाद्य नियंत्रण विभाग ने किया जब्त