सर्दी-खांसी की दवाओं पर सालाना 56 हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं अमेरिकी!
डॉ. एश्ले वुडकॉक और जैकलिन ए. स्मिथ के मुताबिक कुल आबादी के अनुमानित 12 फीसद लोग खांसी की गंभीर परेशानी से ग्रस्त हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं खांसी से ज्यादा परेशान होती हैं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 21 Feb 2019 12:47 PM (IST)
द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। दुनिया में शायद ही कोई होगा जिसका सर्दी-खांसी से सामना नहीं हुआ हो। बच्चे से बुजुर्ग तक हर कोई इससे बराबर परेशान दिख जाता है। यही वजह है कि हर मेडिकल स्टोर पर इसके इलाज का दावा करने वाली तमाम दवाएं और सिरप भी मिल जाते हैं। कभी आपने सोचा है कि इन दवाओं का वास्तव में खांसी पर कितना असर पड़ता है? खांसी लोगों को डॉक्टर के पास भेजने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली परेशानियों में से है।
अमेरिका में लोग सर्दी-खांसी की दवाओं पर सालाना आठ अरब डॉलर (करीब 56 हजार करोड़ रुपये) खर्च करते हैं। अमेरिका के स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. नॉरमन एच. एडलमेन ने कहा, ‘लोग जल्दी से जल्दी ठीक होने के लिए बेचैन रहते हैं और उन्हें लगता है कि दवाएं उनकी मददगार हो सकती हैं। मैं यह नहीं कहना चाहता कि ये दवाएं असर नहीं करती हैं, लेकिन इनका असर ज्यादा प्रमाणित नहीं है। कुछ हद तक इनका साइड इफेक्ट भी होता है। हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए इनमें से कुछ दवाएं घातक भी हो सकती हैं।’
कई दवाओं से लोग सिर्फ इसलिए ठीक हो जाते हैं, क्योंकि उनका मन उसे स्वीकार करता है। चिकित्सक इस असर को प्लेसबो इफेक्ट कहते हैं। बच्चों को प्राय: इन दवाओं से दूर रखना चाहिए। कई दवाओं पर लिखा भी होता है कि चार साल से छोटी उम्र के बच्चों को दवा ना दें। डॉ. एडेलमेन का मानना है कि छह साल की उम्र तक भी बच्चों को इन दवाओं से दूर रखना ही सही है।
निरर्थक दवाओं का करना पड़ता है सेवन
दवा कंपनियां सबको साधने की कोशिश में एक ही दवा में अलग-अलग दवाओं के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करती हैं। इस वजह से लोगों को अनावश्यक रूप से उन दवाओं का भी सेवन करना पड़ता है, जिनकी बिलकुल जरूरत नहीं होती। यूनिवर्सिटी ऑफ हल के विशेषज्ञ और इंटरनेशनल सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ कफ के सदस्य डॉ. एलिन मॉरिस ने हाल में 163 मरीजों पर अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि खांसी की पारंपरिक दवाओं के मुकाबले चॉकलेट-बेस पर बनी दवा ज्यादा कारगर है। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि कोकोआ में इस तरह के गुण पाए जाते हैं।
दवा कंपनियां सबको साधने की कोशिश में एक ही दवा में अलग-अलग दवाओं के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करती हैं। इस वजह से लोगों को अनावश्यक रूप से उन दवाओं का भी सेवन करना पड़ता है, जिनकी बिलकुल जरूरत नहीं होती। यूनिवर्सिटी ऑफ हल के विशेषज्ञ और इंटरनेशनल सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ कफ के सदस्य डॉ. एलिन मॉरिस ने हाल में 163 मरीजों पर अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि खांसी की पारंपरिक दवाओं के मुकाबले चॉकलेट-बेस पर बनी दवा ज्यादा कारगर है। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि कोकोआ में इस तरह के गुण पाए जाते हैं।
महिलाएं ज्यादा होती हैं शिकार
डॉ. एश्ले वुडकॉक और जैकलिन ए. स्मिथ के मुताबिक, कुल आबादी के अनुमानित 12 फीसद लोग खांसी की गंभीर परेशानी से ग्रस्त हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं खांसी से ज्यादा परेशान होती हैं। खासतौर पर उम्र के पांचवें और छठे दशक में खांसी का ज्यादा परेशान करती है।लक्षण के हिसाब से अपनाएं घरेलू उपाय
खांसी की शुरुआत के कई कारण होते हैं। कोई बारिश में भीगकर खांसी का शिकार हो जाता है, तो कोई ठंडी हवा में कुछ देर बिताने की वजह से। बच्चे कई बार खेलते-खेलते पसीने में तरबतर हो जाते हैं और उसके तुरंत बाद पानी पीने से सर्दी-खांसी हो जाती है। जानकारों का कहना है कि आमतौर पर इन स्थितियों में भाप लेना और नाक में डालने वाली दवा का इस्तेमाल कर लेना पर्याप्त रहता है। शहद वाली चाय, अदरक या ऐसे ही अन्य घरेलू उपाय भी कारगर हो सकते हैं। किसी तरह का संक्रमण सामने आने पर ही एंटी बायोटिक लेना चाहिए।
डॉ. एश्ले वुडकॉक और जैकलिन ए. स्मिथ के मुताबिक, कुल आबादी के अनुमानित 12 फीसद लोग खांसी की गंभीर परेशानी से ग्रस्त हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं खांसी से ज्यादा परेशान होती हैं। खासतौर पर उम्र के पांचवें और छठे दशक में खांसी का ज्यादा परेशान करती है।लक्षण के हिसाब से अपनाएं घरेलू उपाय
खांसी की शुरुआत के कई कारण होते हैं। कोई बारिश में भीगकर खांसी का शिकार हो जाता है, तो कोई ठंडी हवा में कुछ देर बिताने की वजह से। बच्चे कई बार खेलते-खेलते पसीने में तरबतर हो जाते हैं और उसके तुरंत बाद पानी पीने से सर्दी-खांसी हो जाती है। जानकारों का कहना है कि आमतौर पर इन स्थितियों में भाप लेना और नाक में डालने वाली दवा का इस्तेमाल कर लेना पर्याप्त रहता है। शहद वाली चाय, अदरक या ऐसे ही अन्य घरेलू उपाय भी कारगर हो सकते हैं। किसी तरह का संक्रमण सामने आने पर ही एंटी बायोटिक लेना चाहिए।