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US Election 2024 Result: जब ट्रंप संग थी कांटे की टक्‍कर तो क्‍या हैं वे 7 कारण जिनके चलते बुरी तरह हारी कमला हैरिस

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव 2024 के परिणाम जारी हो गए हैं। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्‍ट्रपति बन गए है जबकि डेमोक्रेटिक कैंडिडेट व भारतवंशी कमला हैरिस बुरी तरह चुनाव हार गईं। अब सवाल ये है कि अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 में जब ट्रंप और कमला दोनों के बीच कांटे की टक्‍कर थी तो फिर क्‍या वजहें रहीं जिनके चलते कमला हार गईं?

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 07 Nov 2024 02:30 PM (IST)
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Why Kamala Harris Lost in Election: कमला हैरिस क्‍यों हारीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सुपर बॉस बन गए। डेमोक्रेटिक कैंडिडेट व भारतवंशी कमला हैरिस चुनाव हार गईं। इसी के साथ अमेरिका को महिला राष्‍ट्रपति मिलने की आस भी धूमिल हो गई। अगर कमला जीततीं तो 236 साल में पहली बार अमेरिका में कोई महिला राष्ट्रपति बनती। ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं, जो दोनों बार महिला प्रत्याशियों को हराकर राष्ट्रपति बने हैं। 2016 के चुनाव में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को हराया था।

अब सवाल ये है कि अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 में जब ट्रंप और कमला दोनों के बीच कांटे की टक्‍कर थी। कमला ने महिला अधिकारों का चुनावी मुद्दा बनाया। ट्रंप को फासीवादी बताते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। उद्योगपतियों का भी समर्थन मिला। इसके बावजूद फिर ऐसे कौन-से कारण थे, जिनके चलते कमला हैरिस हार गईं? आइए हम आपको बताते हैं...

1. कमला के नेतृत्व क्षमता पर सवाल

कमला हैरिस को शुरुआत से ही अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित करने में मुश्किल आई। साल 2020 में जो बाइडन चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने और कमला हैरिस उप राष्‍टपति। बाइडन की उम्र ज्यादा और लंबे समय तक सत्ता में रहने के चलते कमला को स्थापित करने का मौका नहीं मिला। इस कारण वह कभी ओबामा या बाइडन जैसी प्रभावी नेता नहीं बन सकीं। चुनाव अभियान के दौरान भी उनको देर से कमान मिली।

2. कमला के भाषण नहीं कर सके कमाल

चुनाव के दौरान कमला अपने भाषणों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। उनके भाषणों को लोगों ने 'शब्दों की सलाद' करार दिया। कमला अपने भाषण के जरिये कभी आमजन पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाईं।

अपने मुद्दों को लेकर ट्रंप या ओबामा की तरह स्पष्ट संदेश नहीं दे पाईं। इस कारण मतदाताओं को उनकी योग्यता पर भरोसा नहीं हुआ। इसके उलट ट्रंप अपने भाषण के जरिये सीधे वोटरों को लुभाने में कामयाब हुए।

3. कमला के पास नहीं था 'ट्रंप' कार्ड का काट

डोनाल्‍ड ट्रंप ने श्‍वेत मतदाताओं के बीच अपनी एक विशेष जगह बनाए रखी। ट्रंप ने अप्रवासियों का मुद्दा उठाया। अमेरिका फर्स्ट और अमेरिकी फर्स्‍ट का नारा दिया।

कमला इसका तोड़ नहीं निकाल सकीं और न ही मतदाताओं का भरोसा जीत सकी कि वे कैसे अमेरिकी लोगों का विकास करेंगी, उन्‍हें आगे लेकर जाएंगी, यह नहीं समझा सकीं। यही कारण था कि बड़ी आबादी का कमला हैरिस पर वैसा भरोसा नहीं रहा, जैसा ट्रंप पर रहा।

4. फीका चुनाव अभियान

अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस का प्रचार अभियान बिल्कुल भी उत्साहजनक और प्रेरणादायक नहीं था। पूरा प्रचार के दौरान ऐसा लगा, जैसे वह राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि उपराष्ट्रपति की सीट बचाने के लिए लड़ रही हैं।

ट्रंप जिस तरह जोर-जोर से प्रचार अभियान चला रहे थे, उसी तुलना में कमला जादू नहीं चला। ट्रंप ने खासकर श्वेत और ईसाई समुदाय पूरी तरह अपने पक्ष में कर लिया, जबकि हैरिस अपनी पार्टी के समर्थकों को भी एकजुट नहीं कर पाईं।

5.  डेमोक्रेटिक लोगों में असंतोष

कमला हैरिस को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर डेमोक्रेटिक मतदाता बहुत संतुष्ट नहीं थे।  डेमोक्रेट समर्थक पहले ही इस बात से नाराज थे कि पार्टी पिछले चार सालों में देश को मजबूत नेतृत्व नहीं दे सकी।

इसके बाद उनको कमला हैरिस की नीतियां, चुनावी मुद्दे और नेतृत्व पर भरोसा नहीं हुआ। यह भी एक बड़ी वजह है कि डेमोक्रेटिक समर्थक को भी ट्रंप ज्यादा बेहतर ऑप्शन नजर आए।

6. इकोनॉमी और टैक्‍स नीतियां

अमेरिकी मतदाताओं को कमला की तुलना में देश की इकोनॉमी को मजबूत करने की दिशा में डोनाल्ड ट्रंप की समझ ज्यादा बेहतर लगी। ट्रंप ने देश के तमाम उद्योगपतियों से टैक्‍स घटाने व सस्ते कामगार दिलाने का वादा किया। इस मुद्दे का भी कमला कोई जबरदस्‍त तोड़ नहीं निकाल पाईं। कमला अमेरिका में मध्यम वर्ग की भावनाओं को भी समझने में असफल रहीं।

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7. महिला नेतृत्व को लेकर पूर्वाग्रह

अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और सबसे पुराना लोकतंत्र है, लेकिन इसके बावजूद 236 सालों में अब तक एक भी महिला राष्ट्रपति नहीं बन सकी है। अमेरिकी मतदाता खासकर पुरुष राष्‍ट्रपति जैसे शक्तिशाली पद  पर किसी महिला को देखना नहीं चाहते। 

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यहां पुरुष मतदाताओं को महिलाओं के नेतृत्व पर पुरुष नेता जैसा भरोसा नहीं करते। यही कारण है कि कमला को महिलाओं का समर्थन और वोट तो भरपूर मिले, लेकिन पुरुष मतदाताओं ने ट्रंप को ही सपोर्ट किया।

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