US Election 2024: भारत में टिकट न मिलने पर बागी होकर पार्टी छोड़ देते हैं नेता, क्या अमेरिका की राजनीति में भी होता है दल-बदल?
अमेरिका में लोग आज यानी 5 नवंबर अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए वोटिंग करेंगे। चुनावी मैदान में डेमोक्रेटिक कैंडिडेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। भारत से अलग अमेरिकी चुनाव में दल-बदल करने वाले नेताओं के मामले कम ही सामने आते हैं क्या है इसकी वजह कि अमेरिका की राजनीति में दल-बदल नहीं होता है?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में आज यानी 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है। अमेरिकी नागरिक आज अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए वोटिंग करेंगे। डेमोक्रेटिक कैंडिडेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप में कांटे की टक्कर चल रही है। अब देखना ये हैं कि जनता किसे चुनती है।
हाल ही में भारत में लोकसभा चुनाव और फिर हरियाणा व जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव हुए। दोनों ही चुनाव के दौरान जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला, वे बागी हो गए और दल-बदल कर लिया, जबकि अमेरिका नेताओं के दल-बदल करने का मामला शायद ही सामने आया हो। आखिर अमेरिका की राजनीति में दल-बदल क्यों नहीं होता है? यहां पढ़िए...
अमेरिका की राजनीति में दल-बदल क्यों नहीं होता है, इसकी कहानी के लिए अमेरिका के इतिहास पर नजर डालनी होगी। दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका जब अंग्रेजों से आजाद हुआ, तब वहां कोई राजनीतिक पार्टी नहीं थी।
अमेरिका के फाउंडिंग फादर्स खासकर जॉर्ज वॉशिंगटन देश के भीतर विभाजन औाार गुटबाजी के डर से इसके खिलाफ थे। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन किसी पार्टी के सदस्य नहीं थे, लेकिन कुछ साल बाद लोकतांत्रिक चुनावों में पार्टियों की जरूरत महसूस हुई, तब दो पार्टियां - फ्रेडरलिस्ट पार्टी और डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन पार्टी बनीं।
अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम फ्रेडरलिस्ट पार्टी से ही चुने गए थे, लेकिन साल 1815 में यह पार्टी भंग कर दी गई। ऐसे में सिर्फ डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन पार्टी बची। फिर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के दो धड़े हुए और इसी के साथ दो अलग-अलग पार्टियां बन गईं। इन दोनों को आज हम कमला हैरिस वाली डेमोक्रेटिक पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप वाली रिपब्लिकन पार्टी के तौर पर जानते हैं।
क्या अमेरिका में दो पार्टियों का नियम है?
अमेरिका में सिर्फ दो पार्टियां सत्ता संभालेंगे, ऐसा कोई नियम नहीं है। लेकिन यहां की चुनाव प्रक्रिया ऐसी है, जिसमें दो पार्टियां ही असरदार होती हैं। अभी अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सबसे प्रचलित और पुरानी पार्टियां हैं।इन दोनों पार्टियों की पकड़ पूरे अमेरिका में है। इन पार्टियों की नीतियों से वहां की जनता भली-भांति वाकिफ है। यही वजह है कि अभी तक इन्हीं दो पार्टियों की उम्मीदवार राष्ट्रपति बनते आए हैं। अमेरिका में इन दो पार्टियों के अलावा आज तक कोई तीसरी पार्टी उभर कर नहीं आ पाई है। ग्रीन पार्टी, कॉन्स्टिट्यूशन पार्टी और लिबर्टेरियन जैसी कुछ पार्टियां चुनाव लड़ती हैं, लेकिन न उनका कोई असर होता है और न चर्चा।अमेरिका में दल-बदल की राजनीति क्यों नहीं होती?
दरअसल, अमेरिकी राजनीति में राजनीतिक स्थिरता और विचारधारात्मक प्रतिबद्धता को अधिक महत्व दिया जाता है। यहां मतदाता नीतियों और मुद्दों के आधार पर पहले पार्टी को चुनते हैं और बाद में नेता का। यही कारण है कि अमेरिका में भारत की तरह दल-बदल की राजनीति नहीं होती है। यह भी पढ़ें -अमेरिकी आज चुनेंगे अपना नया राष्ट्रपति, कमला बनाम डोनाल्ड ट्रंप में कौन होगा विजयी; क्या है US Election की पूरी A..B..C..D?अमेरिका में दल-बदल के उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो-
- 1854 के दशक में डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन के टुकड़े हुए तब रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना में पूर्व-विग्स और कुछ डेमोक्रेट्स शामिल थे।
- 1964 में कई दक्षिणी डेमोक्रेट्स ने नागरिक अधिकार कानूनों के बाद रिपब्लिकन पार्टी का रुख किया।
- 1948 में नागरिक अधिकार कानून को लेकर डेमोक्रेट्स से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीनेटर स्ट्रोम थरमंड रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गए।