Year Ender 2023: ट्रम्प के लिए श्राप भरा रहा ये साल, फिर भी लोकप्रिय बने रहे डोनाल्ड; बाइडन को इसलिए पसंद नहीं कर रहे अमेरिकी!
सत्ता में आने के बाद से बाइडन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्रारंभ में कोविड महामारी के बीच अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई फिर यूरोप (रूस और यूक्रेन के बीच) और मध्य पूर्व (इजरायल और हमास के बीच) में संघर्ष हुआ। उनकी अप्रूवल रेटिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनी हुई है। संघर्ष और आर्थिक हालातों के बीच यह घटकर महज 37 फीसदी रह गई है
एएनआई, वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका में अगले साल होने जा रहे राष्ट्रपति चुनावों से पहले हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2024 की दौड़ के लिए महत्वपूर्ण राज्यों में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन से आगे चल रहे हैं। हालांकि, ट्रम्प कानूनी झंझटों में फंसे हुए हैं।
ट्रंप को कई आपराधिक आरोपों में दोषी ठहराया गया है। वहीं बाइडन लगातार दूसरे कार्यकाल का लक्ष्य बना रहे हैं, उन्हें मुद्रास्फीति पर मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें मतदाताओं से जुड़ने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। यूएस में दैनिक आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, इस भावना को दर्शाती हैं कि बाइडन की आर्थिक नीति से लोगों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है।
इस बीच, देश का नेतृत्व करने वाले सबसे विवादास्पद और लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक रहे ट्रम्प को कई कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ट्रम्प अमेरिका के खिलाफ विद्रोह में लगे हुए थे और ऐसी संभावना है कि वह 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य घोषित हो सकते हैं।
बाइडन की अप्रूवल रेटिंग रिकॉर्ड निचले स्तर
सत्ता में आने के बाद से बाइडन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्रारंभ में, कोविड महामारी के बीच अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, फिर यूरोप (रूस और यूक्रेन के बीच) और मध्य पूर्व (इजरायल और हमास के बीच) में संघर्ष हुआ।
उनकी अप्रूवल रेटिंग रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनी हुई है। संघर्ष और आर्थिक हालातों के बीच यह घटकर महज 37 फीसदी रह गई है। विशेष रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत से नीचे आ गई है (2020 के बाद पहली बार) और बेरोजगारी कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गई है। अर्थव्यवस्था के बारे में जनता की धारणा अभी भी नकारात्मक बनी हुई है। न्यूयॉर्क टाइम्स और सिएना कॉलेज के सर्वेक्षण में पंजीकृत मतदाताओं के बीच बेहद निराशावादी विचार सामने आए।
सर्वेक्षण के अनुसार, 81 प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति या तो फेयर या खराब थी, जबकि केवल 19 प्रतिशत ने कहा कि यह अच्छी या उत्कृष्ट थी। सर्वेक्षण में बाइडेन के अभियान के लिए चिंताजनक परिणाम सामने आए हैं।रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने पर बाइडन का रुख भी देश में एक गहरे ध्रुवीकरण का मुद्दा रहा है। अमेरिका पहले ही यूक्रेन को अरबों डॉलर दे चुका है जिससे कीव को रूस के खिलाफ जवाबी कार्रवाई जारी रखने में मदद मिल रही है।
मध्यावधि चुनाव में बहुमत खोने के बाद और विशेष रूप से माइक जॉनसन के हाउस स्पीकर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, बाइडन प्रशासन के लिए यूक्रेन के लिए धन स्वीकृत करना लगातार कठिन हो गया है। गैलप सर्वेक्षण से पता चला कि अमेरिकी नागरिकों के बीच यूक्रेन के लिए समर्थन कम हो रहा है। 41 प्रतिशत अमेरिकियों का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन की मदद के लिए बहुत कुछ कर रहा है, 33 प्रतिशत का मानना है कि अमेरिका सही मात्रा में कर रहा है।
इजरायल-हमास युद्ध राष्ट्रपति बाइडन के लिए विवाद का एक और मुद्दा रहा है। अमेरिका ने रक्षा समर्थन के साथ गाजा पर इजरायल के जवाबी हमले का पुरजोर समर्थन किया है, लेकिन गाजा में बढ़ती मौतों का असर अरब अमेरिकियों के बीच बिडेन के समर्थन पर भी पड़ा है। न्यूयॉर्क टाइम्स और सिएना कॉलेज के सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत मतदाता बाइडन के संघर्ष से निपटने के तरीके को अस्वीकार करते हैं, जबकि केवल 37 प्रतिशत ही इसे स्वीकार करते हैं। इसके अलावा 46 फीसदी का यह भी मानना है कि उनके प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप वास्तव में 'बेहतर काम' कर सकते हैं।
डेमोक्रेट मतदाताओं के बीच भी केवल आधे ही बाइडन के तरीकों को स्वीकार करते हैं। अरब अमेरिकन इंस्टीट्यूट (एएआई) थिंक टैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार, अरब अमेरिकियों के बीच बाइडन का समर्थन घटकर मात्र 17 प्रतिशत रह गया है। एक और प्रमुख मुद्दा, जिसकी बाइडन के प्रतिद्वंद्वी और पूर्ववर्ती ट्रम्प दृढ़ता से वकालत कर रहे हैं, वह है सीमा सुरक्षा, खासकर मैक्सिको की ओर दक्षिणी सीमा। एक विवादास्पद टिप्पणी में, ट्रम्प ने कहा कि प्रवासियों का प्रवाह अमेरिकी रक्त में "जहर" घोल रहा है।
उन्होंने विशिष्ट मुस्लिम देशों के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध को फिर से लागू करने की भी कसम खाई है। बंदूक हिंसा और गर्भपात जैसे मुद्दे भी सुर्खियां बने हैं और डेमोक्रेट और रिपब्लिकन मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण के मुद्दे रहे हैं। अभी यह देखना बाकी है कि इन मुद्दों का चुनाव पर कितना असर पड़ता है।