Canada की संसद में उठा हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ का मुद्दा, सांसद बोले- 'देश में फैल रहा हिंदूफोबिया'
Canada Vandalism of Hindu Temples ब्रैम्पटन के गौरी शंकर मंदिर में हुए हमले का मामला कनाडा की संसद में उठाया गया। मंदिर में तोड़फोड़ के बाद खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखे गए। भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने संसद में हिंदुओं पर हमले की निंदा की है।
By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Thu, 02 Feb 2023 11:32 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। Canada Vandalism of Hindu Temples कनाडा के ब्रैम्पटन में बीते दिनों एक प्रमुख हिंदू मंदिर गौरी शंकर मंदिर पर हमला किया गया। मंदिर में तोड़फोड़ के बाद खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखे गए। इस बीच आज कनाडा की संसद में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने हमले की निंदा की और कनाडा में हिंदुओं के खिलाफ फैल रही नफरत का मुद्दा उठाया।
हिंदूफोबिया से हिंदू दुखी
कनाडाई सांसद आर्य ने कहा कि देश में हिंदूफोबिया जन्म ले रहा है और लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर लगातार घृणा अपराध के मामले बढ़ रहे हैं और हिंदू अब काफी दुखी है। आर्य ने कहा कि पहले ये सभी घृणा कार्य सोशल मीडिया पर होते थे पर अब यह शारीरिक हिंसा में बदल गए हैं। आर्य ने इसी के साथ कनाडा की सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा की अपील की। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की तरह अब कनाडा में हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है।
My statement in Canadian parliament today on the recent hate crime on Gouri Shankar Hindu Mandir in Brampton pic.twitter.com/8RX92dYjxQ
— Chandra Arya (@AryaCanada) February 1, 2023
गोरीशंकर मंदिर में हुई थी तोड़फोड़
कनाडा के ब्रैम्पटन में दो दिन पहले गोरीशंकर मंदिर पर हमला किया गया था और खालिस्तान समर्थक नारे भी लिखे गए थे। मंदिर की दीवारों पर खालिस्तानी नारे तो लिखे ही गए हिंदू विरोधी नारे भी लिखे गए। कनाडा में हिंदू और धर्म आधारित हमलों में इजाफा हुआ है। घृणा अपराधों में 72 फीसद तक का उछाल आया है।ऐतिहासिक कोमागाटा मारू स्मारक को भी तोड़ा गया
वैंकूवर में ऐतिहासिक कोमागाटा मारू स्मारक को भी लगातार तीसरी बार तोड़ा गया है। स्मारक में 376 भारतीयों को सम्मानित किया गया है, जिनमें सिख, मुस्लिम और हिंदू शामिल हैं। 1914 में भारत से कनाडा के लिए रवाना हुए इन लोगों को देश वापस भेज दिया गया था, जिससे वे दो महीने तक जहाज पर ही अटक गए थे, जिनमें से कुछ की मौत भी हो गई थी। इसके बाद कनाडा ने माफी मांगकर उन्हें सम्मानित भी किया गया।