India Canada Row: कनाडा की खालिस्तानी प्रेम गाथा, जब इंदिरा गांधी ने जस्टिन ट्रूडो के पिता से ये कहा...
India Canada Row कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तान समर्थक उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाए जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनातनी चल रही है। कनाडा में खालिस्तान समर्थक आंदोलन पिछली सदी के आठवें दशक में शुरू हो गया था। हालांकि पियरे ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसकी जड़ें गहरी हुईं।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Sat, 23 Sep 2023 06:49 AM (IST)
टोरंटो, एजेंसी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तान समर्थक उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाए जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनातनी चल रही है। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो के कदम की तुलना उनके पिता पियरे ट्रूडो के फैसले से की जा रही है, जिन्होंने एयर इंडिया बम विस्फोट के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार का भारत प्रत्यर्पण करने से इन्कार कर दिया था।
खालिस्तान आंदोलन पिछली सदी के आठवें दशक से हुआ शुरू
कनाडा में खालिस्तान समर्थक आंदोलन पिछली सदी के आठवें दशक में शुरू हो गया था। हालांकि, पियरे ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसकी जड़ें गहरी हुईं। उनके कार्यकाल के दौरान ही परमार भारत में चार पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद कनाडा भाग गया था।प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जून 1973 में कनाडा की यात्रा की थी और पियरे ट्रूडो के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध सौहार्दपूर्ण थे। लेकिन, पियरे ट्रूडो ने 1982 में परमार को भारत प्रत्यर्पित करने का अनुरोध ठुकरा दिया। इसके लिए बहाना बनाया गया कि भारत का रुख महारानी के प्रति पर्याप्त रूप से सम्मानजनक नहीं है।
पियरे ट्रूडो के पद छोड़ने के ठीक एक साल बाद परमार ने जून 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 (कनिष्क) में बम विस्फोट की साजिश रची, जिसमें विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए। अगर पियरे ट्रूडो ने परमार को भारत प्रत्यर्पित करने का इंदिरा गांधी का अनुरोध मान लिया होता, तो विमान में विस्फोट नहीं हुआ होता। एक भारतीय-कनाडाई राजनेता ने नाम नहीं छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके बेटे जस्टिन ट्रूडो भी आज कनाडा में खालिस्तान समर्थक उग्रवादियों के प्रति सहानुभूति रखकर वही गलती कर रहे हैं।