'कनिष्क' फ्लाइट 182 के लिए स्मारक सेवा आयोजित करेगा भारत, निज्जर की मौत पर मौन रखना कनाडा को कितना पड़ेगा भारी?
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में आए सुधार के बाद 1985 में एयर इंडिया के विमान में हुए घातक बम विस्फोट की घटना फिर से चर्चा में है। इतिहास में सबसे जघन्य आतंकवाद ने कनिष्क बम विस्फोट की याद दिला दी है। इस विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई थे।
ओटावा, पीटीआई। Kanishka Bombing: 23 जून, 1985 को, कनाडा से लंदन होते हुए भारत जा रहे एयर इंडिया के विमान में विस्फोट हुआ था। विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए। इसका कारण एक सूटकेस में रखा बम था, जिसे विमान में रखा गया था। पीड़ितों में 268 कनाडाई नागरिक शामिल थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के थे और 24 भारतीय थे। हालांकि, समुद्र से केवल 131 शवों को ही बरामद किया गया था।
इस बम विस्फोट का आरोप सिख आतंकवादियों पर लगाया गया था, जो 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए किए गए 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' के प्रतिशोध में किया गया था। 39 साल बाद भी इस हादसे को भुलाया नहीं जा सकता है।
भारतीय महावाणिज्य दूतावास करेगा इसका आयोजन
इस बीच, भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने बम विस्फोट की वर्षगांठ मनाने के लिए एक स्मारक सेवा की योजना बनाई है। वैंकूवर स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा है कि भारत आतंकवाद की समस्या से निपटने में सबसे आगे है और इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए सभी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।स्मारक 23 जून को वैंकूवर में स्टेनली पार्क के सेपरले प्लेग्राउंड क्षेत्र में एयर इंडिया मेमोरियल में आयोजित किया जाएगा। वाणिज्य दूतावास ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए भारतीय प्रवासियों को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
कनाडा-भारत का तनाव चरम पर
खालिस्तान आतंकवादियों के मुद्दे पर कनाडा के साथ भारत के संबंधों में तनाव के बीच ये कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक नामित सिख आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की 'संभावित' संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है।भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा की धरती से संचालित खालिस्तान समर्थक तत्वों को बेखौफ तरीके से जगह दे रहा है। भारत ने कनाडा को अपनी 'गहरी चिंताओं' से बार-बार अवगत कराया है और नई दिल्ली को उम्मीद है कि ओटावा उन तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।