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चीन के इस कदम से दक्षिण चीन सागर में एक नए शीत युद्ध की दस्‍तक, बाइडन प्रशासन को बीजिंग की नई चुनौती

अमेरिका में जो बाइडन के सत्‍ता संभालते ही चीन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। आखिर क्‍या है चीन का नया कोस्‍ट गार्ड कानून। इस कानून के क्‍या होंगे अतंरराष्‍ट्रीय प्रभाव। किन देशेां पर पड़ेगा इसका सीधा असर। इस पर पड़ताल करती ये स्‍टोरी।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 24 Jan 2021 07:43 AM (IST)
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दक्षिण चीन सागर में एक नए शीत युद्ध की दस्‍तक की फाइल फोटो।
बीजिंग, ऑनलाइन डेस्‍क। चीन सरकार ने अपने तटरक्षक बल (कोस्‍ट गार्ड) को विदेशी जहाजों पर फायरिंग करने की अनुमति देने के साथ दक्षिण चीन सागर में एक नए शीत युद्ध को आमंत्रण दिया है। चीन के इस कानून के साथ यहां दक्षिण चीन सागर से सटे देशों और अमेरिका के साथ संघर्ष और तेज हो जाएगा। चीन का यह नया कानून सीधे तौर पर अमेरिका को चुनौती है। अमेरिका में जो बाइडन के सत्‍ता संभालते ही चीन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। आखिर क्‍या है चीन का नया कोस्‍ट गार्ड कानून। इस कानून के क्‍या होंगे अतंरराष्‍ट्रीय प्रभाव। किन देशेां पर पड़ेगा इसका सीधा असर। इस पर पड़ताल करती ये स्‍टोरी। 

दक्षिण चीन सागर और चीन

दरअसल, चीन के इस कानून को दक्षिण चीन सागर के विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस क्षेत्र में जापान, कंबोडिया, फ‍िलीपींस और वियतनाम के प्रत्‍यक्ष हित जुड़े हुए हैं। सामरिक और खनिज संपदा संपन्‍न इस सागर पर अमेरिका की भी गहरी दिलचस्‍पी है। उधर, चीन दक्षिण चीन सागर के 80 फीसद हिस्‍से पर अपना दावा पेश करता रहा है। चीन इस क्षेत्र पर लगातार अपनी धौंस जमाता रहा है। चीन के प्रभुत्‍व को कम करने के लिए हाल ही में अमेरिकी नौ सेना ने इस क्षेत्र में युद्धाभ्‍यास किया था। अमेरिका के बमवर्षक विमान B-52H ने इस क्षेत्र में शक्ति प्रदर्शन किया। इसके जवाब में चीन ने अपनी मिसाइलों की तस्‍वीर ट्वीट करते हुए अमेरिका को धमकाने की कोशिश की। 

दक्षिण चीन सागर का क्‍या है महत्‍व

दक्षिण चीन महासागर अपनी भौगोलिक परिस्‍थ‍िति के कारण चीन की नजर में है। यह सागर प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे से सटा हुआ है। यह एशिया के दक्षिण पूर्व में पड़ता है। इस सागर का पूर्वी तट वियतनाम और कंबोडिया से जुड़ा हुआ है। इसके पश्चिमी तट पर फ‍िलीपींस है। इसके उत्‍तर में इंडोनेशिया के द्वीप हैं। कई देशों से जुड़े होने के अलावा यह दुनिया का सबसे ज्‍यादा व्‍यस्‍त जलमार्गों में से एक है। इस समुद्री मार्ग से प्रति वर्ष 5 ट्रिलियन डॉलर मूल्‍य का व्‍यापार होता है। यह दुनिया के कुल समुद्री व्‍यापार का करीब 20 फीसद है। इस सागर से चीन का सर्वाधिक व्‍यापार होता है।

ऐसे शुरू हुआ तनाव

दक्षिण चीन सागर पर चीन, फ‍िलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताईवान और ब्रुनेई छह देश अपना-अपना अधिकार जताते रहे हैं। करीब छह वर्ष पूर्व बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर पर अपना प्रभुत्‍व जमाना शुरू किया। चीन ने यहां कई कृतिम द्वीप बनाकर सैनिक बेस भी तैयार किया। आज यहां के कई द्वीपों पर चीन सैनिक तैनात हैं। उन्‍होंने यहां से गुजरने वालों जहाजों को भी परेशान किया। चीन का दावा है कि करीब 2 हजार वर्ष पूर्व उसके मुछआरों ने सागर के द्वीपों की खोज की। हालांकि, द्व‍ितीय विश्‍व युद्ध के दौरान दक्षिण चीन सागर पर जापान का कब्‍जा था, लेकिन युद्ध के बाद यहां के कई द्वीपों पर चीन ने कब्‍जा कर लिया और इसके बाद एक नक्‍शा भी छापा। सत्‍तर के दशक में यहां गैस और तेल के भंडार पता चलते ही यहां दुनिया की नजर गई और विवाद शुरू हो गया।

क्‍या है चीन का नया कोस्‍ट गार्ड कानून

गौरतलब है कि चीन सरकार ने अपने कोस्ट गार्ड को जरूरत पड़ने पर विदेशी जहाजों पर फायरिंग करने की अनुमति दे दी है। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने शुक्रवार को तटरक्षक कानून को पारित किया है। इसके अनुसार, विदेशी जहाजों से उतपन्न खतरों को रोकने के लिए तट रक्षक को सभी जरूरी संसाधनों का इस्तेमाल करने की अनुमति है। इस कानून के तहत जरूरत पड़ने पर विभिन्न प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अनुमति ऐसे समय दी गई है जब चीन का पूर्व चीन सागर में जापान के साथ और दक्षिण चीन सागर में दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से विवाद चल रहा है। दोनों ही समुद्री क्षेत्रों को चीन अपना इलाका बताता है और वहां पर कब्जा जमाने की जब-तब कोशिश करता रहता है। माना जा रहा है कि इस फैसले से वह दक्षिण चीन सागर से विदेशी जहाजों के गुजरने में बाधा खड़ी करने की कोशिश कर सकता है।