हांगकांग में चीन के लोगों के लिए बढ़ती जा रही है नफरत, नए साल का पहला दिन ही होगा भारी
चीन के लिए नए साल का पहला दिन काफी भारी साबित होने वाला है। इसी दिन हांगकांग में चीन के खिलाफ एक बड़ी रैली होने वाली है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 31 Dec 2019 01:50 AM (IST)
बीजिंग [जागरण स्पेशल]। हांगकांग को लेकर चीन की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। करीब सात माह से लगातार जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शनों की बदौलत हांगकांग ही नहीं चीन की भी अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिखाई दे रही है। वहीं अब प्रदर्शनकारियों ने चीन के खिलाफ एक जनवरी को बड़ी रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा हांगकांगवासियों में चीन के लोगों के प्रति नफरत भी बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि यहां पर चीन के व्यवसायियों हांगकांग छोड़ो का नारा हर जगह गूंज रहा है। यह नारा चीन के लिए अब तक की सबसे बुरी स्थिति साबित हो रहा है। यह साफतौर पर हांगकांग में चीन सरकार और उसके मूल निवासियों के लिए पनप रही नफरत का सीधा संकेत दे रहा है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि हांगकांग में जारी प्रदर्शनों के बीच बड़ी संख्या में चीन के मूल नागरिक और चीनी छात्र यहां से जा चुके हैं।
बाहर जाएं चीनी व्यवसायी
आलम ये है कि जून में जो प्रदर्शन एक विधेयक के विरोध में शुरू हुआ था वो अब हांगकांग की आजादी और चीन को यहां से बाहर खदेड़ने तक जा पहुंचा है। इस बार हांगकांग में क्रिसमस के मौके पर भी विरोध प्रदर्शनों का ही शोर हर जगह सुनाई दिया था। चीन की सीमा से लगते श्योंग सुई में शनिवार को बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए और उन्होंने चीन व्यवसायियों के वहां से चले जाने की मांग करते हुए नारेबाजी की। हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के काफी पुख्ता इंतजाम किए थे। प्रदर्शनकारियों को पहचानने के लिए सादे कपड़े में पुलिस तैनात की गई थी। यही वजह थी कि चीन के खिलाफ हो रहे इस प्रदर्शन के दौरान काफी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। सरकारी आंकड़ों की मानें तो बीते छह माह के दौरान पुलिस ने करीब सात हजार प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें सबसे कम उम्र का प्रदर्शनकारी 12 वर्ष की आयु का है।
देशों की बयानबाजी से नाराज चीन
जहां तक चीन की बात है तो आपको बता दें कि उसकी चिंता का सबब केवल यहां पर हो रहा प्रदर्शन ही नहीं है, बल्कि प्रदर्शनकारियों के समर्थन में उतरे कुछ देशों का बयान भी है। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में बयान देने वालों में ब्रिटेन और अमेरिका प्रमुख हैं। वहीं चीन ने भी इन देशों के लिए तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने हांगकांग की स्थिति को उनका आंतरिक मामला बताते हुए कहा है कि इसमें किसी भी दूसरे देश की दखलदांजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जहां तक अमेरिका की बात है तो पहले से ही दोनों देशों के बीच व्यापार के मुद्दे पर कई बार तीखी बयानबाजी हो चुकी है।
चीन-अमेरिका की नाराजगी इतना ही नहीं हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों के बाद अमेरिका में हांगकांग मानवाधिकार एवं लोकतंत्र अधिनियम, 2019 बिल (Hong Kong Human Rights and Democracy Act) कानून लागू कर दिया है। इसको लेकर भी बीजिंग बौखलाया हुआ है। इसके अलावा एक दूसर विधेयक के द्वारा हांगकांग पुलिस को आंसू गैस, काली मिर्च, रबर बुलेट के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनका इस्तेमाल हांगकांग पुलिस प्रदर्शनकारियों पर कर रही है। इन कदमों के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन कर इस पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। उनका कहना है कि ताइवान, हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत के बारे में अमेरिकी टिप्पणियां दोनों देशों के संबंधों को खराब कर रही हैं।
ऐसे हुई विरोध की शुरुआत जून में हांंगकांग की सरकार सदन में एक विधेयक लेकर आई थी। इस विधेयक को देश की मुख्य कार्यकारी कैरी लाम लेकर आई थीं। कैरी चीन समर्थक मानी जाती हैं। इस विधेयक के तहत किसी भी तरह के आपराधिक मामलों में लिप्त आरोपी को मुकदमे के लिए हांगकांग से चीन को प्रत्यर्पित किया जा सकता था। इसी विवादास्पद विधेयक ने आंदोलन की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे इस आंदोलन में कैरी लाम का इस्तीफा समेत कई दूसरी लोकतांत्रिक मांगें जुड़ती चली गईं। गौरतलब है कि चीन के कब्जे में आए हांगकांग को 1997 से ही कुछ मामलों में स्वायत्तता हासिल है। यहां पर स्थानीय निकायों को जनता मतदान के जरिये चुनती है, जो जनसमस्याओं के निस्तारण का काम करती हैं।
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