ताइवान को चीन ने बताया अविभाजित अंग, 4 बिंदुओं में जानें- UNGA के 77वे सत्र में वांग के भाषण की प्रमुख बातें
संयुक्त राष्ट्र के 77 वें सत्र को संबोधित करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि ताइवान प्राचीन काल से ही चीन का अभिन्न हिस्सा रहा है। उन्होंने रूस के यूक्रेन पर हमले पर भी अपनी बात रखी।
By JagranEdited By: Kamal VermaUpdated: Sun, 25 Sep 2022 05:00 PM (IST)
न्यूयार्क (यूएन)। यूएन महासभा के 77वें सत्र की के दौरान हुई हाईलेवल डिबेट के अंतिम दिन चीन ने जिन बातों की तरफ विश्व का ध्यान आकर्षित किया उनमें ताइवान, चीन की वन चाइना पालिसी और कोरोना महामारी थी। इस सत्र में भाषण देते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। इसकी वजह उन्होंने कोरोना महामारी को बताया। उन्होंने ये भी कहा कि चीन काफी अशांत होने के बाद भी भविष्य को लेकर आशांवित है।
चुनौतियों भरे दौर में चीन
अपने भाषण में वांग ने कहा कि चीन चुनौतियों से भरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना महामारी बार-बार सिर उठा रही है वहीं वैश्विक सुरक्षा में भी अनिश्चितता का माहौल है। इसके बाद भी चीन ने आशा नहीं खोई है। अपने भाषण में उन्होंने दुनिया में बढ़ते बहु-ध्रुवीकरण, गहराते आर्थिक वैश्वीकरण के अलावा कई अन्य बातों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन शांति और विकास दोनों का ही पक्षधर रहा है।
विकास के लिए सहयोग की जरूरत
चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि विकास के लिए सहयोग की जरूरत को कोई नकार नहीं सकता है। इस मौके पर उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध पर अपने विचार रखते हुए स्पष्ट शब्दों में इसको गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व को शांति के साथ खड़ा होना होगा और युद्ध का विरोध करना होगा। इसके अलावा मतभेदों को बातचीत के जरिए हल करने के लिए आगे आना होगा।सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य
वांग ने इस सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के अलावा एक तेजी से विकसित होता देश भी है। इसके लिए वो दूसरे देशों से भी सहयोग की अपेक्षा करता है। चीन वैश्विक विकास में भी योगदान दे रहा है। विश्व के करीब 130 देशों का वो व्यापारिक साझेदार है। इतना ही नहीं चीन यूएन चार्टर के सिद्धान्तों के लिये हमेशा प्रतिबद्ध रहा।ताइवान को बताया अविभाजित हिस्सा
ताइवान पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने इतिहास का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ये चीन का अविभाजित अंग है। चीन की वन चाइना पालिसी का ये हिस्सा है। इसको यूएन भी मानता है।