EXCLUSIVE: चीन के लिए ट्रेड वार से निपटने का हथियार भी है बीआरआइ
अपने सीमावर्ती राज्य मंगोलिया में चीन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव की परियोजनाओं के सहारे ट्रेड वार की चुनौतियों से भी निपटने की कोशिश कर रहा है।
By Vikas JangraEdited By: Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:22 AM (IST)
मनीष तिवारी [होहोट सिटी]। अपने सीमावर्ती राज्य इनर मंगोलिया में चीन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव की परियोजनाओं के सहारे ट्रेड वार की चुनौतियों से भी निपटने की कोशिश कर रहा है। पूरी तरह मंगोलियाई संस्कृति में रचे-बसे इस राज्य में चीन-मंगोलिया-रूस से जुड़े इकोनामिक जोन न केवल इन देशों के साथ आपसी व्यापार बढ़ाने का काम कर रहे हैं, बल्कि यहीं से गुजरने वाले चीन-रूस रेल नेटवर्क का विस्तार तमाम अन्य यूरोपीय देशों तक किया गया है। चीन ने इस इलाके को फ्री ट्रेड जोन के रूप में विकसित किया है। यानी यहां से आम जीवन की तमाम जरूरी वस्तुओं की आवाजाही दोनों तरफ से होती है।
शुक्रवार को इनर मंगोलिया के प्रमुख वाणिज्यिक शहर उलनकाब में नार्थ पोर्ट इंटरनेशनल लाजिस्टिक सेंटर, जिनिंग मार्डन लाजिस्टिक पार्क और किसिमू चाइना-यूरोप रेलवे नेटवर्क में चल रही परियोजनाओं के जरिये चीन ने एशियाई देशों से आए पत्रकारों को दिखाया कि उसने किस तरह अमेरिका से व्यापार की कडि़यां टूटने की दशा में अपने उद्योग जगत को बचाने और जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति की तैयारी कर ली है। चीन ने इन सभी परियोजनाओं को अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के तहत ही विकसित किया है। उलनकाब इनर मंगोलिया की राजधानी होहोट सिटी से दो घंटे की ड्राइव की दूरी पर है।
इसी साल बीआरआइ की अवधारणा सामने आने के पांच साल पूरे हो रहे हैं। बीआरआइ मुख्य रूप से कनेक्टिविटी की परियोजना है, लेकिन चीन ने लंबी सोच के तहत इसे व्यापार का माध्यम भी बना दिया है। नार्थ पोर्ट इंटरनेशनल लाजिस्टिक सेंटर के पहले चरण के विकास में ही करीब 1.5 अरब युआन खर्च किए गए हैं। इस पोर्ट का विकास तीन चरणों में किया जाना है।
48.9 हेक्टेयर में बने नार्थ पोर्ट में चीन की करीब चालीस कंपनियों ने अपना आपरेशन शुरू कर दिया है। महज चार साल में ही इस पोर्ट ने चीन में एक अहम इंटरनेशनल लाजिस्टिक सेंटर का दर्जा हासिल कर लिया है। इस स्थान की अहमियत अगले साल बीजिंग से होहोट सिटी तक हाई स्पीड रेल नेटवर्क के शुरू होने से बढ़ जाएगी।
जर्मनी के फ्रेंकफर्ट तक जाने वाली फ्रेट ट्रेन भी यहीं से शुरू होती है। अगले दो साल में यहां से 130 ट्रेनें सामान लेकर यूरोपीय देशों में जा रही होंगी। चीन इस जगह को एक घंटे की आवाजाही वाले इकोनामिक जोन के रूप में विकसित करना चाहता है।
इस सवाल पर कि इकोनामिक और फ्री ट्रेड जोन के लिए इनर मंगोलिया को ही क्यों चुना गया, हावेई टेक्नालाजी कंपनी के क्लाउड बिजनेस डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर एंडी लिन कहते हैं कि इसके तीन कारण हैं। एक तो इसकी लोकेशन हर लिहाज से पहुंच वाली है। आने वाले समय में बीजिंग से यहां एक घंटे में पहुंचा जा सकेगा और दूसरे पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण साल में ज्यादातर समय यह ठंडा रहता है, जिससे एनर्जी कास्ट यहां बहुत कम है।
तीसरे, स्वायत्तशासी क्षेत्र होने के कारण इनर मंगोलिया सरकार यहां उद्योगों को ज्यादा रियायतें भी दे रही है। चीन इस इलाके का इस्तेमाल मंगोलिया और रूस के साथ पूर्वी यूरोप के देशों तक अपनी व्यापारिक पहुंच बढ़ाने के लिए कर रहा है। यही उस नार्थ ईस्ट एशिया आर्थिक सहयोग संगठन का भी केंद्र है जो चीन के एजेंडे में है और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन भी पिछले दिनों इसका प्रस्ताव दे चुके हैं।अगर दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, जापान, मंगोलिया और रूस के साथ मिलकर चीन इस तरह का संगठन बनाने में कामयाब हो जाता है तो भारत पर इसका दबाव पड़ सकता है। मंगोलिया के मामले में यह गौर करने लायक है कि अन्य सीमाई क्षेत्रों के मुकाबले चीन का यह सीमावर्ती इलाका विवादों से मुक्त रहा है। चीन ने इनर मंगोलिया को ज्यादा स्वायत्तता देकर भी असंतोष को थामे रखा है।