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रूस के एस-400 से कमतर है चीन की एयर डिफेंस प्रणाली, भारत को जल्द मिलने की उम्मीद

रूस की परेशानियां कम होने का कारण है रूस का एस-400 और एस300पीएमयू का प्रदर्शन चीन के एचक्यू-9 से कहीं अधिक बेहतर होना। एचक्यू-9 चीन की प्राइमरी लंबी दूरी की घरेलू सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह बहुत हद तक एस-300 की नकल नजर आती है।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Mon, 31 May 2021 08:34 PM (IST)
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रूस के एस-400 से कमतर है चीन की एयर डिफेंस प्रणाली, भारत को जल्द मिलने की उम्मीद

बीजिंग, एएनआइ। चीन का एयर डिफेंस सिस्टम तो रूस के एस-400 से दोयम दर्जे का है। एस-400 और एस-300 रक्षा प्रणालियों के विभिन्न प्रकार रूस के वास्तविक उत्पादों से कमतर हैं।

रूस की परेशानियां कम होने का कारण है कि रूस का एस-400 और एस300पीएमयू का प्रदर्शन चीन के एचक्यू-9 से कहीं अधिक बेहतर है।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एचक्यू-9 चीन की प्राइमरी लंबी दूरी की घरेलू सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह बहुत हद तक एस-300 की नकल नजर आती है। इसमें भी बड़ी सतह वाले रडार और एक बड़ी मिसाइल का इस्तेमाल होता है। चूंकि सन् 1950 के करीब चीन और सोवियत का गठजोड़ टूट गया। इसके बाद चीन को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल को विकसित करने के लिए तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) से अधिक मदद नहीं मिल पाई थी।

इस अलगाव के बाद चीन की लंबी दूरी की मिसाइल एसएएम ही बन पाई जो असल में एस-75 (एसए-2) है। बताया जाता है कि दक्षिण चीन सागर में एचक्यू-9 को तैनात किया गया है। जबकि कुछ ही महीनों में भारत को रूस से एस-400 मिलने वाला है।

भारत को सतह से हवा में मार करने वाली विमान भेदी अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली खेप रूस से इस साल अक्टूबर-दिसंबर में मिल जाएगी। रूस के सरकारी शस्त्र निर्यातक रोसोबोरोनएक्पोर्ट के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी थी।

पांच इकाई खरीदने के लिए हुआ है करार

अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच अरब डालर में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाई खरीदने का करार किया था। भारत इसके लिए 2019 में 80 करोड़ डालर की पहली किस्त का भुगतान कर चुका है।

अमेरिका ने दी थी प्रतिबंध लगाने की धमकी

भारत ने यह करार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाने की धमकी के बावजूद किया था।