China Debt Trap: चीन के कर्ज के जाल को लेकर बांग्लादेश ने किया आगाह, ड्रैगन के रवैये से श्रीलंका सन्न
बांग्लादेश के वित्त मंत्री मुस्तफा कमाल ने कहा कि विकासशील देशों को चीन से कर्ज लेने के बारे में दो बार सोचना चाहिए। चीन के बैड लोन देशों को कर्ज के दलदल में धकेलने का काम करते हैं।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 06:58 PM (IST)
ढाका, एजेंसी। चीन के कर्ज जाल में फंस कर तबाही के कगार पर खड़े श्रीलंका की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। बांग्लादेश के वित्त मंत्री मुस्तफा कमाल ने विकासशील देशों को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) परियोजना के जरिये चीनी कर्ज जाल में न फंसने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सस्ते दर पर चीनी कर्ज लेने से पहले जरूरतमंद देशों को दो बार सोचना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्री ने बीजिंग को कर्ज देने के लिए एक अधिक मजबूत प्रक्रिया का पालन करने के लिए भी आगाह किया।
श्रीलंका की नजीर दी
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि इस प्रकार के खराब लोन ऋणग्रस्त उभरते बाजारों पर दबाव डालते हैं। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए साक्षात्कार में बांग्लादेश के वित्त मंत्री मुस्तफा ने श्रीलंका का उदाहरण देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जो भी परियोजनाएं जरूरी हैं और प्रक्रिया में हैं, हम उनका जितना जल्दी हो सकेगा भुगतान करेंगे। अन्य परियोजनाओं के लिए धन्यवाद।
चीन का पिछलग्गू होने से इन्कार
चीन से तमाम लाभ लेने के वावजूद चीन ने बांग्लादेश का पिछलग्गू होने से इनकार कर दिया है। इसका उदाहरण हाल ही में तब मिला, जब चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अगस्त के पहले हफ्ते में ढाका आने की इच्छा जताई तो उनके बांग्लादेशी समकक्ष एके अब्दुल मोमेन ने साफ कहा कि वह इस दौरान न्यूयार्क और कंबोडिया रहेंगे वह अपनी यात्रा पुनर्निधारित कर लें। उन्होंने कहा कि वह अगस्त के दूसरे सप्ताह तक बांग्लादेश पहुंचेंगे।श्रीलंका के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियों की भरमार
वहीं दूसरी ओर श्रीलंकाई सरकार द्वारा हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी जासूसी पोत की यात्रा को स्थगित करने के कदम के जवाब में चीनी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म टिकटाक ने श्रीलंकाई दूतावास द्वारा उसके डायल एप्लिेकेशन पर किए जा रहे प्रचार अभियान पर रोक लगा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त चीन में कई सोशल मीडिया साइटों पर श्रीलंका पर नकारात्मक टिप्पणियों की भरमार है।