खुद को विश्व की बड़ी ताकत बताने वाला चीन अंदर से हो रहा खोखला, ऐतिहासिक स्तर पर है देश का राजकोषीय घाटा
चीन एक तरफ खुद को शक्तिशाली राष्ट्र बताने का दम भरता है लेकिन उसकी आर्थिक हालत बेहद पतली हो रही है। सरकारी आंकड़ों में उसका राजकोषीय घाटा एक हजार अरब डालर तक पहुंच गया है जो कि एक रिकार्ड है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 27 Oct 2022 04:19 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। चीन एक तरफ खुद को विश्व की बड़ी महाशक्ति के तौर पर दिखाता है लेकिन इसके पीछे की तस्वीर काफी काली है। काली इसलिए, क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था अंदर ही अंदर खोखली होती जा रही है। चीन के सरकारी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। चीन के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश का राजकोषीय घाटा बढ़ कर एक हजार अरब डालर तक पहुंच गया है। आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि ये अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। मंत्रालय ने इस वर्ष की शुरुआती 9 माह के आंकड़े जारी किए हैं। इसमें पता चलता है कि वर्ष 2021 में इस दौरान राजकोषीय घाटा 260 अरब डालर का था। जानकारों का कहना है कि देश में रियल एस्टेट का संकट और अर्थव्यवस्था को राहत देने के नाम पर मिली टैक्स रिबेट की वजह से देश को ये घाटा उठाना पड़ रहा है।
ये हैं चीन के सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि सरकार के राजस्व में इस दौरान 6.6 फीसद तक की कमी आई है। टैक्स रिबेट की वजह से राजस्व में कमी आई है और सरकारी खर्चों में तेजी आई है। सरकार ने आर्थिक रूप से तेजी लाने के लिए जो रियल एस्टेट को सहारा लगाया है उसका उलटा असर देखने को मिला है। मौजूदा वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि की दर में 3.9 फीसद की तेजी दर्ज की गई है। इसको उम्मीद से अधिक बताया जा रहा है। हालांकि, शी चिनफिंग के तीसरे कार्यकाल को हासिल करने के बाद निवेशकों में मन में भविष्य को लेकर चिंता जरूर है। इस दौरान चीनी मुद्रा की कीमत में कमी आई है। साथ ही हांगकांग का शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है।
रियल एस्टेट धड़ाम
चीन के रियल स्टेट सेक्टर जिस पर सरकार को सबसे अधिक विश्वास है वो अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। बता दें कि देश की जीडीपी में इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट सेक्टर की भागीदारी एक-चौथाई से भी अधिक है। चीन में घरों की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और अब ये ऐतिहासिक रूप से कम हैं। जानकारों का कहना है कि रियल सेक्टर का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ जा रहा है।
जीरो कोविड पालिसी
पहले से ही चीन में जीरो कोविड पालिसी की वजह से हालात काफी खराब है। इस पालिसी ने बाजार को काफी हद तक प्रभावित किया है। तालाबंदी की वजह से न सिर्फ उत्पादन का स्तर प्रभावित हुआ है, बल्कि मांग में भी जबरदस्त कमी देखने को मिल रही है। इसका सीधा असर देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। मौजूदा समय में भी देश के करीब 28 शहर कोविड-19 की वजह से लाकडाउन की चपेट में हैं। इस तरह से 20 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभवित हैं।
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